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                                              ँ
       म  भारत का नाग रक हू, मुझे ल  दोन  हाथ चा हए

                                                                                                      - वंती पंजा
                                                                                                   क ा- दसव  अ
                              ँ
       म  भारत का नाग रक हू,
       मुझे ल  दोन  हाथ चा हए।

                       ँ
        बजली म  बचाऊगा नह ,
        बल मुझे माफ़ चा हए।
                   ँ
       पेड़ म  लगाऊगा नह ,
       मौसम मुझको साफ़ चा हए।
        शकायत म  क गा नह ,
                       ँ
       कार वाई तुरंत चा हए।
                                  ँ
                   ु
        बना  लए कछ काम न क ,
       पर   ाचार का अंत चा हए।
       घर-बाहर कड़ा फक,
                  ू
                          ू

       शहर मुझे साफ़ चा हए।
                ँ
       काम क  न धेलेभर का,
       वेतन ल नटाॅप चा हए।
       एक नेता कछ बोल गया सो
                  ु
       मु  म  पं ह लाख चा हए।
       लाचार  वाले लाभ उठाय ,
                ँ
        फर भी ऊची साख चा हए।
                       ु
       लोन  मले  ब ल स ा,
       बचत पर  ाज बढ़ा चा हए।
                                ँ
       धम  क नाम रेव ड़य  खाए,

       पर दश धम  नरपे  चा हए।

       जाती क नाम पर वोट द,


       अपराध मु  रा  चा हए।

                   ं
       ट  न म  दू धेलेभर का,

       िवकास मे पूरी र ार चा हए ।
       म  भारत का नाग रक हू,
                              ँ
       मुझे ल  दोन  हाथ चा हए।
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