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       तेनालीराम क  कहानी: राजगु  क  चाल


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       राजा क दव राय क दरबार म  तेनालीराम क  बु   और चतुराई क  क े काफ  मशहूर थे। यह  वजह थी  क राजगु  क साथ-साथ रा  क
























       कई  ा ण तेनालीराम को पसंद नह  करते थे। वह समझते थे  क  न   ेणी का  ा ण होते हुए भी वह अपने  ान से उ  नीचा िदखाता रहता




                                                                                    ंच गए। सभी  ा ण जानते थे  क उनक




       ह। इसी कारण सभी  ा ण  ने  मलकर तेनालीराम से बदला लेने क  सोची और राजगु  क पास पहु









       तरह राजगु  भी तेनालीराम को पसंद नह  करते। इस लए, राजगु  उनक इस काम म  मदद ज र कर गे।

















       सभी  ा ण  ने राजगु  को अपने मन क  बात बताई और  मलकर तेनालीराम से बदला लेने क  एक योजना बनाई। उ  ने सोचा    न














       तेनालीराम को  श  बनाने का बहाना  कया जाए।  श  बनाने क  नयमानुसार  श  बनने वाले  ि  क शरीर को दागा जाता ह। इस तरह











       उनका बदला भी पूरा हो जाएगा और बाद म  वह सभी उसे  न   ेणी का  ा ण बताकर  श  बनाने से इनकार कर दगे। इससे वो सभी

























                                 ं
       तेनालीराम को नीचा भी िदखा पाएगे।





        फर  ा था, अगले ह  िदन राजगु  ने तेनालीराम को अपना  श  बनाने क  बात बताने क  लए अपने घर बुलवाया। राजगु  क  नमं ण पर



















       तेनालीराम राजगु  क घर पहु
                              ंच गया और उसे बुलाने का कारण पूछा। राजगु  ने कहा, ‘तु ारी बु   और  ान को दखते हुए म  तु  अपना


        श  बनाना चाहता हू ं।’

       राजगु  क  यह बात सुनकर तेनालीराम को आभास हो गया  क कछ तो गड़बड़ ज र ह। उसने राजगु  से पूछा, ‘आप मुझे  श  कब
















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       बनाएगे?’ राजगु  ने कहा, ‘मंगलवार का िदन इस शुभ काम क  लए सह  रहगा।’ राजगु  ने नए कपड़ दते हुए कहा, ‘तेनालीराम मंगलवार को



       तुम यह नए कपड़ पहन कर आना। तब म  तु  अपना  श  बना लूंगा और साथ ह  तु  100 सोने क  स  भी िदए जाएगे।’


                                                                                                  ं














                                                                                   ं





       राजगु  क  बात सुनकर तेनालीराम ने कहा, ‘ठ क ह  फर म  मंगलवार को सुबह आपक घर आ जाऊगा।’ इतना कहकर तेनालीराम अपने घर



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       चला आया। राजगु  को तेनालीराम ने  ब ल भी आभास नह  होने िदया  क उसे उनक  बात पर कछ संदह हो रहा ह।
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       घर आकर तेनालीराम ने सारी बात अपनी प ी को बताई। सभी बात  सुनने क बाद तेनालीराम क  प ी बोली, ‘आपको राजगु  क  बात नह




























       माननी चा हए थी। इसम  राजगु  क  ज र कोई चाल होगी,    क  बना  कसी मतलब क राजगु  कोई काम नह  करता ह।’ प ी क मुंह से










       यह बात सुनकर तेनालीराम कहता ह, ‘कोई नह , राजगु  को तो म  दख ह  लूंगा।’

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       तेनालीराम ने अपनी प ी से कहा, ‘मुझे पता चला ह  क कछ िदन पहले कई  ा ण राजगु  क घर कोई सभा करने गए थे। उन  ा ण  म













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       सोमद  नाम का  ा ण भी गया था। सोमद  को म  अ   तरह जानता हू वह बहुत ह  गरीब ह और उसक घर क  रोट -पानी भी मु  ल से


                               ु


       चलती ह। ऐसे म  अगर म  उसे कछ सोने क  स  दूगा, तो संभव ह  क वह मुझे उस सभा म  हुई सभी बात  बता दगा और म  जान पाऊगा  क








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                                               ं






       आ खर राजगु  क िदमाग म   ा चल रहा ह?’





       इतना कहते हुए तेनालीराम उठकर सोमद  क घर चला जाता ह। सोमद  क हाथ  म  दस सोने क  स  रखते हुए तेनालीराम उस सभा म  हुई
















                                                                                       ु






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       सभी बात  क बारे म  बताने को कहता ह। पहले तो सोमद  कछ भी बताने को तैयार नह  होता, ले कन कछ दर मनाने क बाद वह 15 सोने क



        स   क बदले सब कछ बताने को तैयार हो जाता ह।


                        ु











       राजगु   ारा तैयार क  गई उससे बदला लेने क  पूरी योजना जानने क बाद तेनालीराम राजगु  को सबक  सखाने क  लए िवचार करने लगता
















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       ह।  फर मंगलवार क िदन तेनालीराम राजगु   ारा िदए गए कपड़  को पहनकर राजगु  क घर  श  बनने क  लए पहु
















       क  िव ध शु  क  जाती ह और राजगु  तेनालीराम को 100 सोने क  स  दते हुए वेद  पर बैठने को कहता ह।





       तेनालीराम भी झट से हाथ आगे बढ़ाकर सोने क  स  ले लेता ह और  श  िव ध को पूरा करने क  लए बैठ जाता ह। तभी राजगु  इशारा





















       दकर साथी  ा ण  से शंख और लोह क च  को गम  करने क  लए कहते ह, ता क िव ध पूरी होने पर उससे तेनालीराम को वो दाग सक।







       िव ध आधी ह  पूरी हुई थी  क अचानक तेनालीराम िदए गए 100 सोने क  स   म  से 50 सोने क  स  राजगु  पर फकता ह और वह  से


























       भाग खड़ा होता ह। तेनालीराम को भागता दख राजगु  और उनक साथी  ा ण भी तेनालीराम क पीछ-पीछ भागने लगते ह।


















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       बचने क  कोई    त न िदखाई दने पर तेनालीराम सीधे भागता हुआ राज दरबार म  पहु               ंच कर तेनालीराम राजा क दव

                                                                           ंच जाता ह। वह  पहु



       राय को बताता ह, ‘राजगु  ने मुझे  श  बनने का  नमं ण िदया था, मगर मुझे तब याद नह  रहा  क म   न   ेणी का  ा ण हू, जो राजगु






                                                                                                         ं



















       का  श  नह  बन सकता। जब यह बात मुझे याद आई तब तक आधी िव ध पूरी हो चुक  थी। इस लए, म  राजगु   ारा िदए गए 100 सोने क




































        स   म  से 50 सोने क  स  वापस करते हुए वह  से भाग आया।  फर भी राजगु  मुझे जानबूझ कर दागना चाहते ह, जब क वा िवकता




       म  म  उनका  श  बन ह  नह  सकता।’






















       जब राज दरबार म  राजगु  पहु ंचे, तो राजा ने उनसे इस बारे म  पूरी बात पूछ । तब राजगु  ने अपना असली मंत   छपाते हुए राजा से कहा,

       ‘मुझे भी  ब ल याद नह  था  क तेनालीराम  न   ेणी का  ा ण ह।’
                  ु




       इस पर राजा बोले, ‘तब तो तेनालीराम को उसक  ईमानदारी का ईनाम िदया जाना चा हए।’ इतना कहते हुए राजा ने तेनालीराम को इनाम क





















        प म  एक हजार सोने क  स  भ ट  कए।
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