Page 31 - Epatrika2020_KV2 AFA HYD
P. 31

-12-
        क त क  लीला  ारी !!
          ृ
                                                                                                         ु
                                                                                               - करण कमार पंजा
                                                                                                         दसव  अ
          ृ
        क त क  लीला  ारी,
       कह  बरसता पानी, बहती निदय ,

       कह  उफनता समं  ह,
       तो कह  श त सरोवर ह।

          ृ
        क त का  प अनोखा कभी,
       कभी चलती साए-साए हवा,
       तो कभी मौन हो जाती,

          ृ
        क त क  लीला  ारी ह।
       कभी गगन नीला, लाल, पीला हो जाता ह,



       तो कभी काले-सफद बादल  से  घर जाता ह,
        क त क  लीला  ारी ह।
          ृ


       कभी सूरज रोशनी से जग रोशन करता ह,
       तो कभी अं धयारी रात म  च द तारे िटम िटमाते ह,



          ृ
        क त क  लीला  ारी ह।

       कभी सुखी धरा धूल उड़ती ह,

       तो कभी ह रयाली क  चादर ओढ़ लेती ह,
        क त क  लीला  ारी ह।

          ृ
       कह  सूरज एक कोने म  छ ु पता ह,

       तो दूसरे कोने से  नकलकर च का दता ह,



          ृ
        क त क  लीला  ारी ह ।
   26   27   28   29   30   31   32   33   34   35   36