Page 45 - Epatrika2020 KV2 AFA DUNDIGAL HYD
P. 45
-34-
आ रह रिव क सवारी
हमेश ओझा
नवी बी
२६
आ रह रिव क सवारी।
नव- करण का रथ सजा ह,
क ल-कु सुम से पथ सजा ह,
बादल -से अनचु र ने वण क पोशाक धारी।
आ रह रिव क सवारी।
िवहग, बदं और चारण,
गा रह ह क त-गायन,
छोड़कर मदै ान भागी, तारक क फ़ौज सारी।
आ रह रिव क सवारी।
चाहता, उछलूँ िवजय कह,
पर िठठकता दखकर यह-
रात का राजा खड़ा ह, राह म बनकर भखारी।
आ रह रिव क सवारी।