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आ रह रिव क सवारी  

                                              हमेश ओझा  
                                                    नवी बी  
                                                          २६   

आ रह रिव क सवारी। 
नव- करण का रथ सजा ह, 
क ल-कु सुम से पथ सजा ह, 
बादल -से अनचु र ने वण क पोशाक धारी। 
आ रह रिव क सवारी। 
िवहग, बदं और चारण, 
गा रह ह क त-गायन, 
छोड़कर मदै ान भागी, तारक क फ़ौज सारी। 
आ रह रिव क सवारी। 
चाहता, उछलूँ िवजय कह, 
पर िठठकता दखकर यह- 
रात का राजा खड़ा ह, राह म बनकर भखारी। 
आ रह रिव क सवारी। 
 

                                                                                                                                    
 
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