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अजीब दु नया का चलन दखा 

                                                                                                                      ा त साद 
                                                                                                                     क ा- 8 'ब 

                                                                                                                                    

अजीब दु नया का चलन दखा, 
कु छ पाने क लए अपना ईमान बदलते दखा। 
 
जाने ा पाने क इ ा, 
जाने ा खो जाने का डर 
हर आदमी को यह  
गर गट क तरह रगं बदलते दखा 
अजीब दु नया का चलन दखा। 
 
तरस आता ह खदु गज दु नया क द ूर पर, 
गरै को तो छोड़ो अपन को ज़मीर से गरते दखा! 
अजीब दु नया का चलन दखा। 
 
दखकर ऐसा चलन,िदल ख़नू क आसं ू रो पड़ा, 
म ार दु नया को हर आंसू पर हंसते दखा। 
अजीब दु नया का चलन दखा… 
 

                                                                                                                   
 
 
 

 
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