Page 44 - Epatrika2020 KV2 AFA DUNDIGAL HYD
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अजीब दु नया का चलन दखा
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अजीब दु नया का चलन दखा,
कु छ पाने क लए अपना ईमान बदलते दखा।
जाने ा पाने क इ ा,
जाने ा खो जाने का डर
हर आदमी को यह
गर गट क तरह रगं बदलते दखा
अजीब दु नया का चलन दखा।
तरस आता ह खदु गज दु नया क द ूर पर,
गरै को तो छोड़ो अपन को ज़मीर से गरते दखा!
अजीब दु नया का चलन दखा।
दखकर ऐसा चलन,िदल ख़नू क आसं ू रो पड़ा,
म ार दु नया को हर आंसू पर हंसते दखा।
अजीब दु नया का चलन दखा…