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हम एक बड़े घोड़ के मुह म� लगाम
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दसरों पर ब�त ज�ी दोष न लगाओ, �ोंिक लगाकर घुमा सकत ह� और एक
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हम सब भी ब�त बार गलितया करत ह�। छोटी पतवार के �ारा िजधर भी
नािवक चाहता है, एक बड़ा जहाज
मोड़ देता है।
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यिद कोई अपनी ज़बान पर
लगाम लगा सकता है, तो वह
यह सािबत करता है िक वह हर वैसे ही जीभ भी एक छोटी सी
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पूरी तरह से अपन ऊपर चीज है, लिकन यह िकतना बड़ा
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िनयत्रण कर सकता है। नकसान कर सकती है।
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मन� न हर तरह के जानवर या प�ी को
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प्रिशि�त करक वश म� कर िलया है, लिकन
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कोई भी इसान जीभ को वश म� नहीं कर
सकता।
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और एक ही मह से आशीष और श्राप
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दोनों िनकलत ह� – सच म� यह ठीक नहीं है!
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यिद तुम �ानवान हो? जो ऐसा हो वह अपन कामों को अ� चालचलन से
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उस नम्रता सिहत प्रगट कर और अ�ाई का जीवन िजए।
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लिकन जो �ान �ग से आता है वह सबस पहल शु�
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और नम्रता से भरा होता है। तब यह शाितिप्रय और
िवनम्र होता है। यह दया और कपटरिहत होता है।
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