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शुऱू होकर आज भी सूखा राशन ववतरण का काया बहत ही सुतनयोजजत ढग
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                                                                                 ु
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           से चल रहा ह।ववद्यालय प्रमुख श्रीमती मृणासलनी गौतम जी ने ऐसी ववर्म
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           पररजस्त्र्तत में ना कवल इस उिर दातयत्व को सफलतापूवाक तनभाया वरन
                                                                       े
           अपन ववद्यालय पररवार क े ज़ोश और हौंसल को एक न ई उडान भी दी
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                                                                                            े
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           ।अनक बार ऐसा भी हआ जब हहम्मत कमज़ोर पडन लगी लककन मैडम ने
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                                                                             े
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           बहत ही स्त्नह से इस ट ू टती हई ताकत को जोडन का काया ककया। परस्त्पर
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           समन्वय भावना और सहयोग भावना ने यह काया करन मे प्राण भरन का
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           काया ककया । 2020से लकर अब तक ववद्यालय में                                  कोववड से उत्पन्न
           ववकट जस्त्र्ततयौं क े सार् सार् शैक्षखणक गततववर्धयौं क े कायों का तनवाहन
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           बहत ही शानदार ढग से हो रहा ह।हमारा ववद्यालय रोहहणी क े ररहायशी
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           इलाक में जस्त्र्त है          । स्त्र्ानीय नागररकौं की            सुरक्षा को पूरा ध्यान में
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           रखते हए 'हगर क ैं प' व सूखा राशन ववतरण क ें द्र का काया ककया                          व अब भी
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           यह काया ककया जा रहा है । कोववड SOP क े सभी हदशातनदेशौं का पालन
           ककया जा रहा ह।हगर क ैं प में लगन वाली लंबी लंबी कतारौं मे दो गज़ की
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                                                          े
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           दूरी का ध्यान,सडक            में चल रह आवश्यक आवागमन की व्यवस्त्र्ा क े सलए
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           हमार ववद्यालय प्रमुख व                सभी सदस्त्यौं ने दोनौं समय मुस्त्तदी से अपना
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           दातयत्व तनभाया। ववद्यालय पररसर में अलग से कमरौं की व्यवस्त्र्ा करना
           हो, सतनटाइजशन से संबंर्धत सभी आवश्यक काया,साफ़ सफ़ाई आहद से
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           संबंर्धत सभी सावधातनयौं का पालन ककया गया। ववद्यालय में                                       ज्ञान
           वपपासा और क्षुधावपपासा का ऐसा सुदर ताना बाना दखते ही बनता ह। िीगी
                                                          ं
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           आूँखों क े अश्रु पौंछन का प्रयास है ये सूखा रािन वििरण योजना। हमार                                 े
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           ववद्यालय ने ना कवल ववतरण का काया ककया वरन प्रततहदन जहाँ तक हो
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           सका इन लोगोँ की यर्ासंभव ,यर्ाजस्त्र्तत मदद भी की। आशा क े                            प्रकाश को
           पुन: प्रकासशत करते हए भूख से लडन की हहम्मत है ये योजना।सशक्षा
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           ववभाग क े उत्साह वधाक हदशातनदेश और हमार ववद्यालय की कमाठ
           प्रधानाचायाा जी क े मागादशान से आज भी सूखा राशन ववतरण क ें द्र का काया
           बहत ही सुचाऱू ऱूप से चल रहा है ,जो एक उज्जज्जवल और स्त्वस्त्र् जीवन क े
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           सुदर भववष्य की आशा क े अक ु र को प्रस्त्फ ु हटत करन में अपना छोटा सा
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           कक ं तु महत्त्वपूणा योगदान दे रह हैं। सशक्षा मंहदरौं क े अन्द्नपूणाथ ऱूप को िि
           िि नमन ।
           -धित्रा गौड़

            प्रितिा द  ंिी











        Don't judge each day by the harvest you reap but by the seeds that you plant.
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