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छात्रजीविम्
छात्रजीविमव मािवजीविस्य प्रभातवला आधारषशला च वतत ||
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अर्ात् : छात्र जीवि मािव जीवि की आधारषशला है |
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वस्तुत: षवद्यार्ी जीविम् साधिामयम् जीविम ||
अर्ात् : षवद्यार्ी जीवि एक साधिा क े समाि जीवि है |
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छात्रजीवि िररश्रमस्य महती आवश्यकता वतत ||
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अर्ात् : छात्र जीवि में हम िररश्रम करि की आवश्यकता होती है |
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अध्ययिं िरमं ति उच्यत ||
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अर्ात् : छात्र जीवि में अध्ययि िरम धम है |
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अतएव छात्रौ: प्रात: काल ब्रम्हमुहुत एव उत्र्ातव्यम |
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अर्ात् : छात्रों को प्राताः काल ब्रह्म मुहूत में उठिा चाषहए और व्यायाम करिा चाषहए |
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क ु छ ऐसा शलख जो पढ़न लायक हो या क ु छ ऐसा करें जो शलखन लायक हो।