Page 6 - lokhastakshar
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शायद, नह"ं प,का यह" बात मेर म9
त;क म क?वता सश^ माrयम क _प म हमार सम ह।
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रह"। मQ िलख सकता हूँ तो ,य- न िलखूं ? जो पूँजीवाद और साम2तवाद क7 जकड़ और पकड स
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लोग िलखत ह व ,य- न िलख ? जो लोग बोल बाहर िनकलना जeर" ह। प?<का का काम भी
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सकत ह व ,य- न बोल ? उनक लेखन को आम वाहक जैसा ह। सा#हFय और प?<काए अपना काम
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लोग- तक पहुंचाकर मQ
वयं भी आग बढूँगा। कर रह"ं ह इसम हमारा योगदान भी होना
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बहुत जeर" ह आज जब पूँजीवाद ?वZ क अिनवाय ह।
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पूँजीवाद स िमलकर अपनी )रता क चरम पर
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आज का मु य *s ह #क हम सोच दश #कस
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पहुँच कर आम आदमी का िनवाला छlनन जा रहा
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#दशा म जा रहा ह। ,या इस दश क िलए नयी
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ह। ऐस समय म लेखक- क7 लेखन जी?वत रह,
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सद", नव युग का अथ िसफ यह" ह क7 हमार"
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यह ज_र" ह, उसी स आन वाल कल क7 उ6मीद
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आिथ क *गित कारपोरट Vारा चािलत ह ?
बंधगी।
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कारपोरट जगत क7 चकाचtध क नीच जो शोषण
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लगभग दो दशक बाद #फर स प?<का शु_ करना क7 नद" बहती ह उस भी जानना जeर" ह। क?ष
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कछ कछ नव स कर रहा ह वह" ख़ुशी भी द रहा कानून स जो खतरा अ2नदाता क Vार पर आ
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ह। इन बीस वषo म #कतना कछ बदल गया ह। खड़ा हुआ ह वह खतरा कवल और कवल #कसान
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#ड9जटल युग आ गया ह। दुिनया फ़ा
ट फ़ड सी का नह"ं ब9Uक हर आदमी का ह।
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हो गई ह। सरकार" उप)म कारपोरट म बदल रह
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,या हम एक बार #फर स *ेमच2द युगीन होन
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ह। बदलाव इतनी तेजी स घ#टत हो रहा ह #क
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जा रह ह। *ेमचंद ज़मींदार" *था क चंगुल म फस
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मनु;य मशीन सा बन गया ह। कारपोरट सं
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आम आदमी क7 पीड़ा को िलखत रह। ,या हमार
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म रोन और हसन क िलए कोई जगह नह"ं ह।
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आन वाली पीढ़" क Xम का शोषण भी उसी तरह
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qयार मुहbबत यहाँ व9ज त ह। यहाँ क6पिनय- क
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होता रहगा जैस आजाद" पूव होता था ?
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टारगेट ह 9जनको पूरा करन म आज का युवा खुद
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को खपा रहा ह। कभी कभी लगता ह यह दुिनया ?पछल कछ वषo म #कतना कछ चल रहा ह ,
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एक गुफा ह जहाँ हम रोबोट स कम तो नह"ं ? इतनी उथल पुथल भीतर भी बाहर भी इसको कहाँ
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िनकाल। गत वषo म हमन को?वड जैसी महामार"
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धािम क सdा क घोड़ आजकल राजनैितक सdा क7
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क दौरान और उसक बाद आिथ क सामा9जक और
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तरफ दौड़ रह ह। धािम क और राजनैितक सdा क
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कितक मूUय- पर *हार भी झल ह। दश क
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घोड़ िमलकर बहुत अिधक )र और ?वLूप हो
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भीतर एक और दश #दखा ह। एक दश कमर- म
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कर अपन ह" आवाम को पैर- तल कचलत ह। यह
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बंद, एक सड़क- पर भूखा qयासा सैकड़ो
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बहुत जeर" हो चला ह #क हम िलख हम बोल।
मई – जुलाई 6 लोक ह
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