Page 10 - lokhastakshar
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बहता द8रया
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प म यी स मीना ी चौधरी की बातचीत
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एक िनभ|क लखक य#द वह म#हला हो तो अपन साथ पूर समाज को लकर चलती ह। उसक
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पास वह }?y ह 9जसस वह न कवल वत मान अ?पतु भ?व;य को भी पढ़ सकन का सामgय
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रखती ह। वह ~ी होत हुए भी सबस पहल 9~य- क7 आलोचक ह।
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(सामा2य तौर पर होता ,या है, जब हमारा पित, हमारा पु<, हमारा भाई, हमारा ?पता, चाहे वह
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#कतना ह" गलत कर आए, हम 9~या उसी का प लती ह। तुमन दखा भी होगा #क बलाFकार,
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हFया तजैस जघ2य अपराध- म िल पुeष- क समथ न म उनक घर क7 9~या ह" बोलती ह।)
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नव लखक- क बार म बबाक7 स अपनी राय रखती ह।
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सृजन क7 क#ठनाइया उनक सामन ह ह" नह", ?बUकल भी नह" ह। आज क लखक बड़ आराम
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स िलखत ह। उ2ह बीहड़- म भी रहन क7 ज_रत नह"ं। मानो सारा भारतवष हमार नगर- या
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महानगर- म ह" बस रहा हो, ऐसा लगता ह तो नव लखक- को ,या #द,कत ह? सब सु?वधाएं
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ह? मरा यह कहना ह #क हम लखक सु?वधा भोगी हो गए ह। हम पानी चा#हए। ?बजली चा#हए।
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ए.सी. चा#हए, ,या-,या नह" चा#हए और जब यह सब होता ह, तब हमार" िलखावट होती ह।
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ल#कन जब हम इन सब को छोड़कर चलत ह तो सृजन क7 राह बनती ह।
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~ी ?वमश म वह उस ~ी क7 बात करती ह जो शहर क7 प8रिध स बाहर गांव क आंगन म
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बैठl प पात और अ2याय क7 धूप म नंग पांव चूUहा लीपती ह और उPफ तक नह" करतीं।
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उनक लखन क बार म राज2L यादव कहत ह :“तुम गांव क7 ~ी लाई हो। उ2ह-न #फर कह"
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िलखा भी #क *मचंद और रणू गांव क7 9~या लाए ह ल#कन मै<यी 9~य- का गांव ल आई
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जी हा, लोक-ह
ता र म बहता द8रया म *
तुत ह #हद" भाषा क7 सश^ ल9खका मै<यी पु;पा
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स मीना ी चौधर" क7 अ2तरग बातचीत जो कई अथo म समाज क हािशय स बाहर क7 दुिनया
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स आपको िमलवाती ह। मै<यी पु;पा जी और मीना ी चौधर" जी का इस बातचीत को लोक
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ता र का #ह
सा बनान क िलए आभार :
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मई – जुलाई 10 लोक ह
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