Page 13 - lokhastakshar
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ऐसा वह मानत थ। #फर वह कोई सा#हFयकार तो करत थ, ले#कन मुझ #दन म सोन क7 आदत
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थ नह"ं, वह िच#कFसा क < स जुड़ हुए ह। वह कभी नह"ं रह", अब भी कभी अगर झपक7 ल लेती
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हमारा जो सांसा8रक वैवा#हक जीवन होता ह, वह" हूं तो पता नह"ं, शर"र को थोड़ा आराम दकर मQ
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जीना चाहत थ। अब िलखन क िलए तो घर स #फर िलखन बैठ जाती थी। मQन अब तक 9जतन
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थोड़" छट" भी चा#हए पर मेरा यह मानना था #क भी उप2यास िलख, उनक िलए दस-दस घंट बैठ
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अगर इसक िलए कलह क_गी तो समय नy कर िलखा, कोई चार सौ पेज का, कोई तीन सौ
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होता, जो मेर पास पहल ह" कम ह। ?ववाह क पेज का, उनक मQन छह-छह, सात-सात ाPट
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पSचीस बरस पहल ह" बीत चुक ह। एक बात कहूं तैयार #कए ,य- क मझ तसUली ह" नह"ं होती थी
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मीना ी, कलह करना मेर बस का ह" नह"ं ह, या #क मQन सह" िलख #दया ह। एक राज2L यादव जी
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तो कहूं मेर
वभाव म ह" नह"ं ह। तो घर म मQन थ, उनको हम #दखात थ, वह हमार गाइड थ, इस
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कभी लड़ाई-झगड़ा नह"ं #कया, उन पर ह" छोड़ ?वषय म5। उनको मQ कहानी का पुरोधा मानती थी।
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#दया #क तुम को 9जतना लड़ना हो, लड़ लो, मQ वह #कसी को भी ?वाथ| क7 तरह सीखा सकत
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तो कछ कहूंगी नह"ं। हमार" D ी ?वमश क7 9~यां थ, ऐसा मुझ लगता था और लोग- को तो और भी
यह भी कह सकती ह क मQ दब रह" थी, जवाब बहुत कछ लगता था। राजL यादव जी और मुझ
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नह"ं द रह" थी। कई बार जवाब #दया भी और लेकर तरह-तरह क7 बात बनाई और कह" गई।
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कड़ा जवाब #दया ले#कन अिधकतर चुप रहना मुझ यह पता ह #क वह िश क थ मेर कहानी क
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कर समझा। मुझ लगता था क अगर मQ और मQ उनक7 ?वाथ| थी। मQ अपने उप2यास क
लड़गी तो मेरा ह" नुकसान होगा। मQ िलख नह"ं ाEट उ2ह #दखाती थी, पांडिल?प #दखाती थी।
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पाऊगी और िलखना मेरा एक लय था, 9जसक उ2ह-ने भी मेर" लगभग सभी पांडिल?पय- को पढ़ा
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िलए मुझ ह" संयम रखना था। बस इसी तरह स और जब वह ओक करते थ, तब मQ उ2ह छपने क
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िलखती चली गई। अगर मQ अपन टाइम टबल क7 िलए द दती थी, इस च,कर म5 मQने पांच-पांच सौ
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बात क_ तो पित जब काम पर चल जात थ, प2न- क सात-सात ाPट िलख। राज5L यादव जी
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बे#टयां बड़" हो गई थी, एक एमबीबीएस कर रह" भी ताGजुब करते थ #क तुम शु_ से िलखने बैठ
थी, एक क7 तो शाद" भी हो गई थी, तो जब घर जाती हो उप2यास को, मQ कहती थी हां, पैब2द
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पर कोई नह"ं होता था तो मQ िलखती थी। #फर लगेगा तो अSछा नह"ं लगगा ,य-#क पा< गड़बड़
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जब लंच टाइम हो जाता था तो मQ जUद" स #ज करते ह। हमने कह"ं पा का काय बदल #दया तो
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को खोलकर दखती थी #क ,या-,या सbजी ह, हम5 आगे चलकर जब हम िलखन पर आएंग तो
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मुझ ,या-,या बनाना ह, #फर रसोई का थोड़ा वह हमार" कलम क7 बात मानेगा, मानेगा #क नह"ं
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*बंध करक, खाना खान क बाद यह तो आराम मानेगा तो मQ हर ाPट को शु_ स िलखती थी
मई – जुलाई 13 लोक ह
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