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                                                            ै
               और पुMट होता ह। वहां यह Pवचार सामने आता ह        सामने  लाती  ह।  मा&स वाद!  आलोचक  औ|योUगक
                                                                              ै
                                                                 ं
                                                                           7
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                                                                                    े
               9क  आंतKरक  +क ृ %त  और  बाहर!  +क ृ %त  क  बीच   पूजीवाद  म मनुMय क ~म क िजस अजनबीकरण
                                                                                           े
               एक दूसर को +भाPवत करने और dपांतKरत करन           को  दखते  ह,  उसका  संबंध  मनुMय  क>  इसी
                                                                      े
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                                                                             g
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                                                                                        े
               क>  मता होती ह। इस तरह आंतKरक +क ृ %त और         रचनाशीलता  क  मनुMय  स  अजनबी  होने  क  साथ
                                                                             े
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                                                                                                         ै
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               बाहर!  +क ृ %त  क  बीच  क  पूरक  Kर`तो  क>  जगह   ह। ~#मक अपने ~म से जो उ?पादन करता ह उस
                                                                                                             े
                                         े
               अब |वं|वा?मक Kर`ते हमार सामने आ जाते ह।          कवल एक 5बकाऊ माल समझ #लया जाता ह और
                                                           ै
                                                                 े
                                                                                                        ै
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               इसका  अथ   यह  होता  ह  9क    बाहर!  +क ृ %त     उसे मुनाफ क #लए बेच 1दया जाता ह।  इस तरह
                                                                                                  ै
                                                                            े
                                                            ै
               आंतKरक +क ृ %त को +भाPवत और %न#म त करती ह        ~#मक  का  अपने  उ?पाद  पर  कोई  %नयं6ण  नह!ं
                                                                                           े
               तथा  आंतKरक  +क ृ %त  अपनी  मानवीय  और           रहता।  नतीजतन  उ?पाद'  क  संग  ~#मक  क>
               सा#मिजक ज़dरत' क> पू%त  क #लए बाहर! +क ृ %त       रचनाशीलता  भी  5बकती  हई  1दखाई  दती  ह।  इस
                                                                                                        ै
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               म गुणा?मक पKरवत न पैदा कर, उसे अपन अनुक ू ल      रचनाशीलता का लाभ उSह #मलता ह िजनका ~म
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                                                                             े
                                                                                                   ै
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               बनाती ह।                                         क संसाधन' क ऊपर %नयं6ण होता ह। इस तरह
                                                                               े
                                                                                                   7
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               Dयापक  Pवचार  और  दश न  क   तर  पर  यह  बात      ~म एक तरह क रचना?मक आनंद म बदलने क>
                                                                                                      ै
                                                                                         7
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               आंतKरक  और  बाहर!  +क ृ %त  क  बीच  क  पर पर     बजाय, एक अजनबी व तु म बदल जाता ह। इससे
                                                                                                             7
               Pवरोधी  होने  क>  बात  को  ह!  आधार    बनाती  ह   मनुMय अपनी आंतKरक +क ृ %त से भी एक अथ  म
                                                            ै
                                                                              ै
                                      7
               परतु 9फर उसे नए dप म समिSवत करने क> और           अजनबी होता ह।
                  ं
                                                                         े
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                                                                                                             े
               भी ले जाती ह।                                    पि`चम  क  दश न'  म  इस  तरह  बाहर!  +क ृ %त  क
                                   े
                औ|योUगक  $ां%त  क  साथ  मनुMय  क  पास  ऐसी      अUधकाUधक  व तु%नMठ  होते  जाने  और  आंतKरक
                                                  े
                                                                                                         7
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                                                                        े
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               नई  उ?पादन  पW%तयां  आ  जाती  ह  9क  वे  बाहर!   +क ृ %त  क  अजनबी  होते  जाने  क  dप  म  जो
                                                                                        े
                                                                                             g
                                                       े
               +क ृ %त को %नयं56त और dपांतKरत करने क #लए        मानवीय  संकट  1दखाई  दते  ह,  वे  मनुMय  और
                                                                                               े
                                                                        े
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               अभूतपूव   dप  म  स म  1दखाई  दने  लगती  ह।       +क ृ %त क बीच एक खास तरह क |वैत भाव क>
               इससे बाहर! +क ृ %त का पूरा ढांचा व तु%नMठ और     मौजूदगी  क>  ओर  इशारा  करते  हg।  |वं|वा?मक
                                                                                                    ै
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                                                                        7
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               भौ%तक 9क म क ऐस ढांचे म बदल जाता ह िजस           दश न' म भी यह |वैत मौजूद रहता ह, परतु वह
                              े
                                   े
                                                                                 े
               मनुMय  उपयोगी  संसाधन  क>  तरह  पुनk?पा1दत       Pवरोधमूलक होने क साथ साथ पर पर पूरक एवं
                                                                        े
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                           ं
               करता  ह,  परतु  इससे  +क ृ %त  क  संसाधन  भर  बन   एक दूसर का dपांतर करने क> सामlय  वाला भी
                                                                      ै
                      े
               जाने क हालात पैदा हो जाते हg और  +क ृ %त क>      होता ह।
                                                                                                             े
                                                  ै
               मानवीय अंतव  तु खंZडत होने लगती ह।               9फर  बाजार  पर  मनुMय  का  %नयं6ण  न  होने  क
                                                                                           े
               +क ृ %त  क>  इस  मानवीय  अंतव  तु  को  पि`चमी    कारण  +क ृ %त  और  मनुMय  क  संबंध'  का  अगला
                                                                                    ै
                                                                                                      े
                                                                                               े
                                          ै
                          ु
               दश न' ने बहत कम पहचाना ह।                        चरण  सामने  आता  ह।  बाज़ार  क  तं6  क  |वारा
                                                                                                             े
                                                                                      ं
                                                                मुनाफ क dप म जो पूजी मनुMय से और उसक
                                                                                7
                                                                     े
                                                                        े
               मा&स वाद!  आलोचना  मनुMय  और  +क ृ %त  क  बीच
                                                       े
                                                                                        ै
                                                                ~म से अलहदा हो जाती ह और +क ृ %त क उ?पाद'
                                                                                                     े
               बनने  वाले  ~ममूलक  संबंध'  क  |वारा  इन  दोन'
                                            े
                                                                                                 े
                                                                को खर!दने क> सामlय  भर होने क अलावा और
                                               े
               क>  रचना?मक  अंतर संभावनाओं  क  उ|घाटन  को
               मई – जुलाई                             45                                                                   लोक ह ता र
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