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P. 46

कोई  अथ   नह!ं  रखती,  उससे  +क ृ %त  का         साथ  सहयोग, Pवरोध,  तालमेल,  सामंज य  ह त ेप,

                                            ै
               उपभो&ताकरण  सामने  आता  ह।  अब  +क ृ %त  को      पर परता  समांतरता  आ1द  से  जुड़े  Dयवहार  भी
                                                े
                        े
                                                    े
                                                                        े
                                                            7
               मनुMय  क  उपभोग  क  पदाथw  क  हतु  क  dप  म      1दखाई दते हg।
                                   े
                                             े
                 े
                                 ै
               दखा जाने लगता ह। इस तरह +क ृ %त अपने तौर         वेद'  क>  ऋचाओं  म  हम  यह  दखते  ह  9क  हर
                                                                                               े
                                                                                   7
                                                                                                     g
               पर  9कसी  आंतKरक  मानवीय  सार  त?व  से  यु&त     अलग  दवता  क  #लए  अलग  सू&त  ह।  हर  दवता
                                                                                                  ै
                                                                        े
                                                                              े
                                                                                                          े
               पदाथ  नह!ं रह पाती।
                                                                             7
                                                                                             ै
                                                                अपने सू&त म सवपKर होता ह। सूय , वायु , इं\,
                                                                                              े
               पि`चमी  दश न'  से  काफ>  हद  तक  अलहदा           वkण, आ1द?य, मkत आ1द सभी दवता अपने सू&त
                                         े
                                                                  7
                                                                                                   े
                िMटकोण  रखने  वाले  पूव   क  और  खास  तौर  पर   म  शीष   पर  रहते  हg  और  शेष  दवता  उनक
                                                                                                             े
                       े
               भारत क दश न, +क ृ %त को मूलतः मानवीय चेतना   सहयोUगय' क> तरह Pवचरण करते हg। क ु छ देवता
                                                                              7
               से यु&त मानते  हg। यहां बाहर! +क ृ %त और भीतर    जोड़' क dप म भी 1दखाई दते ह, जैसे #म6 और
                                                                       े
                                                                                           े
                                                                                               g
                                                                                                       ै
                                                                                                  े
                                                                                                             7
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               क>  +क ृ %त  म  बहत  अंतर  1दखाई  नह!ं  दता।  वह   वkण  ह।  यह  जो  Dयव था  1दखाई  दती  ह,  उसम
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                                                     े
                               ु
                                                                       े
                                                          े
               जो बाहर ‹¾मांड म +क ृ %त क> तरह 1दखाई दता        सभी  दवता  अपने  अपने  तौर  पर  अंतः वाय?त
                                 7
                                                 े
                            े
                 ै
                                                                                             े
               ह,  उसे  ह!  दह  म  मौजूद  +क ृ %त  क  एक  अSय   Dयव था वाले होकर भी, अSय क साथ एक +कार
                                7
                                                  ै
                                        े
               मानवीय  +ाdप क> तरह दखा जाता ह।                  का  आपसी  तालमेल  वाला  Kर`ता  बनाते  हg।  जब
                                                                                                       ं
                                                                            े
                                                ै
               यह जो अलग तरह का  िMटकोण ह, उससे +क ृ %त         मनुMय  उन  क  +%त   तु%तयां  और  +ाथ नाए  करते
                                                                                                ै
                                                                 g
               को  पूVय  मानने  वाल!   िMट  Pवक#सत  हई।         ह,  तो  इस  का  अथ   यह  होता  ह  9क  वे  सभी
                                                          ु
                                                                 े
                                                                                              े
                                                    े
               ‹¾मांड  को  +क ृ %त  क  PवPवध  dप'  क  आपसी      दवताओं को  बराबर का मह?व दते हg।
                                    े
                                                                                                             7
                                                                                                    े
               तालमेल  स  काम  करने  वाल!  Dयव था  क>  तरह      पि`चम क Pवचारक' को इन  तु%तय' क संबंध म
                                                                         े
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                                  े
                                                                                                  े
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                                                         े
                                                                                      े
               दखा गया। +क ृ %त क सभी dप इसी कारण दव?व          ऐसा +तीत होता ह जैस 9क भारत क अPवक#सत
                                                                                 ै
               से  यु&त  होते  चले  गए।  पृlवी,  जल,  वायु,  अिन   और  Pपछड़ी  चेतना  वाले  आ1दम  समाज  क  लोग
                                                                                                       े
                                                     े
                                                                                                         े
               आकाश, आ1द?य, चं\ आ1द बाहर! +क ृ %त क PवPवध       +क ृ %त से भयभीत हg।  इस#लये वे  तु%तय' क dप
                                                            े
                         े
                                                                  7
               dप  ह! दवता नह!ं हए, अPपतु आंतKरक +क ृ %त क      म कोई जादू टोना या उसी तरह का कोई उ|बोधन
                                   ु
                                                                       े
                                                                    े
                                                  ं
               PवPवध आयाम और  े6 होने वाले अहकार  मृ%त,         करक दवताओं को जगाने का अंधPव`वास पूण  खेल
                                                                                                     े
                                                                                      ै
                                                                             7
               बुPW,  सं कार,  भाव,  Pवचार,  +_ा,  %न\ा  जड़ता,  मृ?यु   खेलते हg। उSह लगता ह 9क  तु%तय' क माzयम
                                                                    े
               तथा चैतSय आ1द PवPवध त?व भी दव?व से यु&त          से  दवता  को  +कट  करना  और  उसे  भोय  पदाथ
                                                े
                                                7
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               मान  #लए  गए।  भारतीय  दश न'  म    बाहर!  और     +दान करन क #लए कहना, कवल एक मनोवै_ा%नक
                                                                                         े
                                                                           े
               भीतर! +क ृ %त क त?व अलग अलग दवी दवताओं           धोखा ह। यह कवल एक तरह से शूSय को या 9कसी
                              े
                                                  े
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               या उनक अUधMठान'  क dप म इस#लए दखे गए,            जड़  पदाथ   को  जीवन  +दान  करक,  उसे  गलती  स
                                                                                              ै
               &य'9क ये सभी अपने अपने तौर पर एक आंतKरक          मनुMय या ई`वर मानने का खेल ह।
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                वचा#लत  Dयव था  वाल  पदाथw  या  संरचनाओं        क ु छ  मनोPव`लेषक  ऐसा  भी  कहते  हg  9क  बाहर!
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               क>  तरह  1दखाई  दते  रह  हg।  व  एक  दूसर  स     +क ृ %त क त?व' या शि&तय'  को दवता मानने क
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                पMटतः #भSन ह, परतु इन सभी का एक दूसर क          पीछ मूल कारण यह ह 9क मनुMय अपने मनुMय?व
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                                  ं
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               मई – जुलाई                             46                                                                   लोक ह ता र
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