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कोई अथ नह!ं रखती, उससे +क ृ %त का साथ सहयोग, Pवरोध, तालमेल, सामंज य ह त ेप,
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उपभो&ताकरण सामने आता ह। अब +क ृ %त को पर परता समांतरता आ1द से जुड़े Dयवहार भी
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मनुMय क उपभोग क पदाथw क हतु क dप म 1दखाई दते हg।
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दखा जाने लगता ह। इस तरह +क ृ %त अपने तौर वेद' क> ऋचाओं म हम यह दखते ह 9क हर
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पर 9कसी आंतKरक मानवीय सार त?व से यु&त अलग दवता क #लए अलग सू&त ह। हर दवता
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पदाथ नह!ं रह पाती।
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अपने सू&त म सवपKर होता ह। सूय , वायु , इं\,
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पि`चमी दश न' से काफ> हद तक अलहदा वkण, आ1द?य, मkत आ1द सभी दवता अपने सू&त
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िMटकोण रखने वाले पूव क और खास तौर पर म शीष पर रहते हg और शेष दवता उनक
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भारत क दश न, +क ृ %त को मूलतः मानवीय चेतना सहयोUगय' क> तरह Pवचरण करते हg। क ु छ देवता
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से यु&त मानते हg। यहां बाहर! +क ृ %त और भीतर जोड़' क dप म भी 1दखाई दते ह, जैसे #म6 और
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क> +क ृ %त म बहत अंतर 1दखाई नह!ं दता। वह वkण ह। यह जो Dयव था 1दखाई दती ह, उसम
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जो बाहर ¾मांड म +क ृ %त क> तरह 1दखाई दता सभी दवता अपने अपने तौर पर अंतः वाय?त
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ह, उसे ह! दह म मौजूद +क ृ %त क एक अSय Dयव था वाले होकर भी, अSय क साथ एक +कार
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मानवीय +ाdप क> तरह दखा जाता ह। का आपसी तालमेल वाला Kर`ता बनाते हg। जब
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यह जो अलग तरह का िMटकोण ह, उससे +क ृ %त मनुMय उन क +%त तु%तयां और +ाथ नाए करते
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को पूVय मानने वाल! िMट Pवक#सत हई। ह, तो इस का अथ यह होता ह 9क वे सभी
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¾मांड को +क ृ %त क PवPवध dप' क आपसी दवताओं को बराबर का मह?व दते हg।
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तालमेल स काम करने वाल! Dयव था क> तरह पि`चम क Pवचारक' को इन तु%तय' क संबंध म
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दखा गया। +क ृ %त क सभी dप इसी कारण दव?व ऐसा +तीत होता ह जैस 9क भारत क अPवक#सत
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से यु&त होते चले गए। पृlवी, जल, वायु, अिन और Pपछड़ी चेतना वाले आ1दम समाज क लोग
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आकाश, आ1द?य, चं\ आ1द बाहर! +क ृ %त क PवPवध +क ृ %त से भयभीत हg। इस#लये वे तु%तय' क dप
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dप ह! दवता नह!ं हए, अPपतु आंतKरक +क ृ %त क म कोई जादू टोना या उसी तरह का कोई उ|बोधन
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PवPवध आयाम और े6 होने वाले अहकार मृ%त, करक दवताओं को जगाने का अंधPव`वास पूण खेल
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बुPW, सं कार, भाव, Pवचार, +_ा, %न\ा जड़ता, मृ?यु खेलते हg। उSह लगता ह 9क तु%तय' क माzयम
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तथा चैतSय आ1द PवPवध त?व भी दव?व से यु&त से दवता को +कट करना और उसे भोय पदाथ
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मान #लए गए। भारतीय दश न' म बाहर! और +दान करन क #लए कहना, कवल एक मनोवै_ा%नक
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भीतर! +क ृ %त क त?व अलग अलग दवी दवताओं धोखा ह। यह कवल एक तरह से शूSय को या 9कसी
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या उनक अUधMठान' क dप म इस#लए दखे गए, जड़ पदाथ को जीवन +दान करक, उसे गलती स
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&य'9क ये सभी अपने अपने तौर पर एक आंतKरक मनुMय या ई`वर मानने का खेल ह।
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वचा#लत Dयव था वाल पदाथw या संरचनाओं क ु छ मनोPव`लेषक ऐसा भी कहते हg 9क बाहर!
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क> तरह 1दखाई दते रह हg। व एक दूसर स +क ृ %त क त?व' या शि&तय' को दवता मानने क
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पMटतः #भSन ह, परतु इन सभी का एक दूसर क पीछ मूल कारण यह ह 9क मनुMय अपने मनुMय?व
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मई – जुलाई 46 लोक ह ता र