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(्ायररी) एवं 'कई समयों में' (चयन) भरी संपातदत कीं. अशोक वाजपनेयरी
                                                         करी कई पुट्तकों के साथ तसनने शस्खसयत एवं शायर गु्लजार करी नजमों के
                                                         चयन 'यार जु्लाहने' और 'मरी्लों सने तदन' संपातदत तकए और संगरीत, तसननेमा
                                                         व क्लाओं पर तवमशजा करी एक पुट्तक 'तवट्मय का बखान' त्लखरी. यह सब
                                                         करतने हुए जैसने वने ्लगातार कुछ अ्लग करनने के त्लए उतद्ग्न रहने और एक
                                                         ऐसने बडडे तमशन करी खोज में थने जो उनहें ्लनेखन में संतोष दने सके. इस तमशन
                                                         के त्लए सदरी में ्लता जैसरी शस्खसयत शायद कोई और नहीं हो सकतरी
                                                         थरी तजसके जरीवन समय और तसननेमानुभवों को ्लनेकर इतनरी बडरी तकताब
                                                         त्लखरी जा सकतरी. ्लगभग छह सौ सने अतधक पन्ों वा्लरी इस तकताब में
                                                         आधने में ्लता के सुर वैतशष्ट्य करी गाथा है तो आधने में उनसने तवतभन् मुद्ों
                                                         - जरीवन, समय, तद्लचस्ट्पयों, समाज, समका्लरीन शस्खसयतों व उनके
                                                         अपनने बारने में करी गयरी बातचरीत समातहत है. पूररी पुट्तक जैसने कई रागों करी
                                                         बंतदश हो. उनके रचने श्दों सने जैसने गुनगुनाहट करी खुशबू आतरी है.
                                                           ्लता सुर-गाथा के त्लए प्रदत्त यह पुरट्कार उत्तर प्रदनेश के तकसरी ्लनेखक
                                                         को तदया जानने वा्ला पह्ला राष्रिरीय तफलम पुरट्कार है. अभरी कुछ तदनों
                                                         पह्लने हरी अयोधया के सांट्कृततक सामातजक सांगरीततक इततहास पर एक
                                                         समृर् गजनेतटयर का सा महतव रखनने वा्लरी पुट्तक 'शहरनामा फैजाबाद'
                                                         प्रकातशत हुई तजस पर उनहें हररकृष्ण तत्वनेदरी ट्मृतत युवा पत्काररता पुरट्कार
                                                         तम्ला.  इससने  पूवजा  वने  भारत  भूषण  अग्रवा्ल  पुरट्कार,  रजा  फाउं्डेशन
                                                         पुरट्कार, हनेमंत ट्मृतत कतवता सममान, भारतरीय भाषा पररषद युवा पुरट्कार,
                                                         परंपरा ऋतुराज सममान, उप्र संगरीत नाटक अकादमरी पुरट्कार, राजरीव
                                                         गांधरी राष्रिरीय एकता पुरट्कार एवं महाराणा मनेवाड सममान सने तवभूतषत हो
                                                         चुके हैं.

                                                           कलालोिन
                                                           तहंदरी में संगरीत, तसननेमा और रूपंकर क्लाओं पर तनयतमत त्लखनने
                                                         वा्लने कम हैं. इस क्षनेत् में ्लने दने कर कुँवर नारायण, प्रयाग शुक्ल, अशोक
                                                         वाजपनेयरी और मंग्लनेश ्बरा्ल आतद कुछ संट्कृतत तचंतकों के नाम हरी
                                                         हमारने सामनने बार बार आतने हैं. यद्तप इस क्षनेत् में अखबाररी रपट के नाम
                                                         पर सांट्कृततक ्लनेखन करी उदरपूततजा अवशय होतरी रहरी है. कुँवर नारायण
                                                         नने एक समय तफलमों पर अननेक जरीवंत तटपपतणयां त्लखरी हैं, प्रयाग शुक्ल
                                                         और तवनोद भारद्ाज नने क्ला के क्षनेत् करी गतततवतधयों को हमनेशा अपनने
         ्लता जरी के जरीवन कमजा संगरीत, तफलमरी दुतनया और समका्लरीन   अव्लोकनों और अतभ्लनेखों में शातम्ल तकया है. अशोक वाजपनेयरी करी
         क्लाकारों सने जुडडे उनके अनुभवों को सहनेजनने वा्लने यतरीनद्र तमश्र नने   तकताब 'समय सने बाहर' अपनने क्षनेत् करी एक अ्लग हरी पुट्तक है तजसने
         ‘्लता सुर-गाथा’ को ऐसा तवनयास तदया है तक उनके हरी शरीषजाक को   आज भरी क्ला-आ्लोचना का मरी्ल का पतथर कहा जा सकता है. तसननेमाई
         उधार ्लनेकर कहनने को जरी करता है तक यह तवट्मय का बखान है.   धुनों पर पंकज राग का काम भरी बुतनयादरी है. यह सौभागय करी बात है तक
            बरीतने छह-सात सा्लों में यतरीनद्र अपनने कतव कमजा के साथ साथ   जहां आज के समका्लरीन युवा ्लनेखकों का बडा समूह अपनने समय करी
         संगरीत और तसननेमा पर ्लगातार कायजारत रहने हैं. अपनने ्लनेखन करी   क्लातमक सांट्कृततक गतततवतधयों सने कटता जा रहा है, यतरीनद्र तमश्र  इधर
         शुरुआत उनहोंनने जरूर कतवताओं सने करी. 'यदा कदा', 'अयोधया   एक सतक्य क्ला-संगरीत तचंतक के रूप में उभरने हैं. क्ला रूपों पर आई
         'और  अनय  कतवताएं  के  साथ  साथ  'ड्ोढरी  पर  आ्लाप'  और   उनके तनबंधों करी पुट्तक तवट्मय का बखान उनके क्लातमक तचंतन और
         'तवभास' संग्रह उनके ्लत्लत कतवतव के पररचायक हैं. पर केव्ल   अनुशरी्लन का प्रमाण है.
         कतव होकर रह जाना जैसने उनहें पयाजापत नहीं ्लगता था. यतरीनद्र नने   तमजाज सने कतव यतरीनद्र तमश्र नने अयोधया जैसरी धातमजाक नगररी में रहतने
         अपनने समय के संगरीत क्ला साधकों को अपनने सतत धयान में बसाए   हुए भरी उसने अपनरी क्ला और संगरीततप्रयता सने गुंजान बनाया है और बराबर
         रखा और उट्ताद तबस्ट्मल्लाह खॉं पर 'सुर करी बारादररी' त्लख कर   क्लातमक गतततवतधयों, क्लाकारों, शाट्त्रीय गायकों, गरीतकारों के सास्ननधय
         उट्ताद करी दंतुररत मुट्कान सने ्लनेकर उनके शहनाई वादन और उनके   में रहतने आए हैं. समय समय पर उनहोंनने पं.मस्ल्लकाजुजान मंसूर, उट्ताद
         रहन सहन तक को श्दों में मूतजा कर तदया. ठुमररी गातयका तगररजा   अमरीर खां, पं.भरीमसनेन जोशरी, शै्लनेनद्र, सतयतजत रने, सातहर ्लुतधयानवरी,
         दनेवरी पर त्लखरी तकताब 'तगररजा' उनकरी जरीवनरी उनके तवचार उनके   तनमजा्ल वमाजा, कुंवर नारायण, अशोक वाजपनेयरी, रसन तपया, ्लता मंगनेशकर
         सातन्धय का कावयातमक प्रततफ्ल हो जैसने. इसरी क्म में खयात नतजाकरी   सतहत इस क्षनेत् के अननेक मूधजानयों, वागगनेयकारों, नतजाक नतजातकयों पर त्लखा
         सोन्ल मानतसंह पर त्लखरी तकताब 'दनेवतप्रया' अपनने ढंग करी अनूठरी   है तथा अपनरी भाषा के वैभव में इन क्लाकारों, क्लाममजाज्ों करी संगत और
         पुट्तक है. ्लगभग अपनने ्लनेखन के गए एक दशक में हरी यतरीनद्र   शस्खसयत को मूतजा रूप दनेतने रहने हैं.
         तमश्र नने कुंवर नारायण पर दो पुट्तकें 'उपस्ट्थतत' और 'संसार' का   अकसर क्ला करी बखान के त्लए हमारने पास उपयुकत भाषा नहीं होतरी.
         संपादन तकया. उनकरी दो अनय तकताबें 'तदशाओं का खु्ला आकाश'   चाहने प्रदशजानकाररी क्लाएं हों या संतों तनगुजातनयों के वचन पद उ्लटबांतसयां,
                                                                        w1-15 अगस्त, 2017w I गंभीर समाचार I  27
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