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उसके दसर पर अपिान के रेत से बुनी और यह पक्षधरता ही उनकी आजािी थी
पु्तैनी अनिोल टोपी थी .
सिय इतना िंगलकारी और िुभ था
अब यह भटकेगा अगले युग तक दक लोग कैसा भी नाि रख सकते थे
अगले युग िें िायि इसको जल दिलेगा लोग कैसा भी पहनावा पहन सकते थे
अगले युग िें िायि इसके िन को कल दिलेगा . n कुछ भी खा और गा सकते थे
और अपने उन खास नािों के कारर
खास पहनने खास गाने और खास खाने के कारर ही
वे सब के सब हतया के योगय हो गए थे
कुछ लोग इतने आजाि थे दक
आजािी के िायने हर पल बिल सकते थे
हतया और िान
लूट और अपिान
दनयि और संदवधान
आरादी पर एक आराद कवमर्ज सब कुछ िज्ण दकया जाता था
कुछ लोग थे जो सब कुछ
खेत बंजर होने के दलए सिय के साथ दसलते रहते थे
और हर धातु खंजर होने के दलए उनहोंने अनेक िबिों के साथ
वृक्ष काठ होने के दलए अनेक िूसरे अथ्ण दसल दिए थे
रुई-धागा राख होने के दलए उनहोंने प्ेि के साथ लव दजहाि दसल दिया था
और आििी ितिाता होने के दलए उनहोंने िेिभककत के साथ वंिे िातरम् को
हर तरह से आजाि था . नतथी कर दिया था
जो आजाि न होना चाहता था उनहोंने भाषा जल सरोवर राजिाग्ण रकत राष्ट्र
वह आजाि न होने के दलए भी आजाि था. सबको िुद्ध कर दिया था
िेल दिलावट की
दकतना पावन कहीं कोई गुंजायि नहीं रह गई थी
दकतना िन भावन
सुहावन सतय दिव सुंिर िुभ सिय था सब कुछ सही था
पवन िेव केवल कुछ लोगों के दलए बहने लगे सूरज पूरब से दनकल कर पक्चि िें ढल जाता था
सूय्ण िेव केवल कुछ अपनों के दलए उसकी दकरने और दिन
उगने और असत होने लगे थे पहले से कुछ अदधक प्काििान होते थे
िाता पृथवी केवल कुछ लोगों की जायिाि हो गईं रातें और धुंधलके पहले से
उसकी पररक्रिा िें कुछ लोगों के दलए ही गदत रह गई थी कुछ अदधक डरावने होने लगे थे
और इंद्र और वरुर िेव सडक पर बह रहे
कुछ लोगों के रकत को लेदकन ऐसे िें भी कुछ लोग थे तब भी
अपने पावन जल से धोना तक नहीं चाहते थे जो न डरने के दलए भी आजाि थे
जैसे दक वे िरने के दलए बेरोक-टोक आजाि थे. n
सब के सब पक्षधर हो गए थे
यहां तक की दििाएं भी
w1-15 अगस्त, 2017w I गंभीर समाचार I 25