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आिादी@हायसल
डॉ सी पी ठाकुर, साांसद ि पूि्ण केंद्ीय मांत्री
साल िा स्य िोई ि् नहीं होता लेकिन किसी राष्ट्र िे कलए यह स्य िोई जयादा भी
नहीं होता. ऐसा नहीं है कि आज़ादी िे बाद ह्ने अब ति िुछ हाकसल नहीं किया. सबसे
70 बड़ी बात है कि जब ह् आजाद हुए तब ह्ारी जनसंखया 40 िरोड़ िे आसपास थी,
आज 130 िरोड़ से जयादा है. लेकिन तब ह्ारे पास संसाधन िा घोर अभाव था और ह् अपने नागररिों
िे कलए ्ूलभूत सुकवधाएं या ये िहे कि जरुरतें पूरी िरने ्ें सक्ष् नहीं थे. आज जनआिांक्षाएं पहले
िे ्ुिाबले िहीं जयादा आस्ान छू रही है, अवसर बढ़े हैं, संसाधन बढ़े हैं, इसिा फायदा क्ल रहा है,
लेकिन चुनौकतयां अब भी है. देश िे सुदूर इलािों ्ें अभी भी िई तरह िी चुनौकतयां है. ्ूलभूत स्सयाएं
है कजनिा कनरािरण आव्यि है. कशक्षा, सवासथ, पेयजल, कबजली, आधारभूत संरचना िे ्ा्ले ्ें ह्
्हानगरों, नगरों और िसबों ति तो िाफी िुछ िर पाएं है लेकिन ग्ा्ीण इलािों ्ें अभी बहुत िुछ
िरना है. हां, अथ्णवयवसथा िे ्ा्ले ्ें ह्ने िाफी प्रगती िी है. साफटवेयर िे क्षेत् ्ें ह् दुकनया ्ें
अग्णी है. इसिे अलावा लोितांकत्ि वयवसथा िो ह् भारतीयों ने लगातार ्जबूती दी है. यहीं ह्ारी
एि देश िे रूप ्ें सबसे बड़ी पहचान है. ह् दुकनया िे सबसे बड़े लोितंत्ाकति देश है. लोितंत् ही है
कि यहां सभी ध्षों, वगषों िो अपनी इचछा व योगयता िे अनुसार प्रगकत िे अवसर क्ल रहे हैं. स्सयाएं
जैसे-जैसे आती है, उसिा कनदान उसी क्् ्ें होता है. यह एि सतत प्रकक्या है.
शरद यत्रपाठी मीनाक्षी लेखी
साांसद साांसद
जादी िे बाद ह्ने इ न 70 सालों ्ें ह्ने
िाफी िुछ हाकसल िुछ हाकसल नहीं
आकिया है. चाहें वह किया, यह िहना
आकथ्णि क्षेत् ्ें हो या कफर गलत होगा. लेकिन
सा्ाकजि-राजनीकति या कफर कजतना हाकसल किया
अनय क्षेत्ों ्ें. कव्व पटल पर जाना चाकहए उतना नहीं
भी भारत एि शशकत िे रूप िर पाए. इसिे पीछे
्ें जाना जाने लगा है. स्य िई िारण है. सरिारी
िे साथ जरुरतें और आिांक्षाएं नीकतयां या उनिा
बदलती रहती है. जब देश आजाद िाया्णनवयन एि िारण त ो
हुआ तो ह्ारी पूरी अथ्णवयवसथा िृकष आधाररत थी, है ही,लेकिन आजादी िे बाद से एि
लेकिन िृकष िो भी गकत देने िे कलए संसाधनों िा स्ुकचत वयवसथा िर ऐसे वग्ण िा उदय हुआ जो अपने कनजी सवाथ्ण
पाना ह्ारे कलए संभव नहीं था. अनुसंंधान संसथान या तो नहीं थे, या िी पूतटी िे कलए हर तरह िे हथिंडे अपनाया, इसिी वजह से िई
इकिा दुकिा थे भी तो ह्ारी जरुरतों िो पूरा िरने लायि नहीं थे. कफर िुरीकतयां अपनी जगह बनाती गईं और ह्ारी प्रगकत िी राह ्ें रोड़ा
औद्ोकगि कविास सरिार िी नीकतयों िा िेंद्र बना और यह क्् 70 बनती गईं. इसिे बावजूद ह्ने हर क्षेत् ्ें िद् आगे बढ़ाया और
िे दशि ति चला. फलसवरूप देश ्ें बड़े-बड़े िल िारखानें सथाकपत उस्ें सफलता भी पाई. लेकिन वह अपेकक्षत सफलता नहीं थी. ह्ें
हुए. इन िारखानों िे सथाकपत होने से रोजगार िे अवसर सृकजत हुए और सभी क्षेत्ों ्ें िाफी ्ेहनत िरनी होगी. ऐसे बहुत सारे देश ह्ारे कलए
इसिा प्रभाव सा्ाकजि पररवत्णन पर पड़ा. नौवें दशि िे शुरुआत ्ें नई उदाहरण है जो या तो ह्ारे साथ सवतंत् हुए या कफर ह्ारे बाद लेकिन
उदारीिरण वाली अथ्णवयवसथा ह्ें स्ाजवादी अथ्णवयवसथा से पूंजीवाद िी वे ह्ारे बकनसपत िहीं जयादा कविास िर गये हैं. इसिा िारण यह
तरफ ले गई. इसिे फायदे हुए तो इसिे नुिसान भी ह्ें झेलने पड़ रहे हैं. भी िहा जाता है कि उनिी आबादी िाफी ि् है. इसिी वजह से वे
इसिे पहले इन 70 सालों ्ें ह्ने तीन लड़ाइयां लड़ीं. एि ्ें ह्ारी हार तेजी से कविास िर पाए. लेकिन अगर ह्ारे देश िी आबादी जयादा
भी हुई. लेकिन इसिी वजह से ह् सैनय ताितों िो दुरुसत िरने िे प्रकत है, तो ह् इसे अपनी ताित िे रूप ्ें कयों नहीं देखते. यह ्ानव
संजीदा हुए और सा्ररि दृशष्ट से ह् ्जबूती ्ें हैं. बल ह्ें दुकनयां ्ें एि अलग सथान पर ले जा सिता है.
22 I गंभीर समाचार I w1-15 अगस्त, 2017w