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्ें भागीदार होने िे
बजाय कव्व ्ें अपनी
अलग उपशसथकत िो लेिर
कचंकतत थे. नेहरू िी इस पहल
ने उनहें और भारत िो कव्वनेता
होने िी ओर बढ़ाया.
इन प्रयासों से भारत िी वैश्वि
शसथकत िो क्ली सुदृढ़ता िो पहला
झटिा चीन से लगा. चीन पंचशील
कसद्धांत िो सबसे पहले सवीिार िरने
वाले देशों ्ें से था, लेकिन उसिी नीयत
इस पर अ्ल िरने िी नहीं थी. उसने भारत िे
क्षेत्ों पर अकधिार जताना शुरू किया और 1962 ्ें भारत
पर ह्ला िर कदया. इस युद्ध िे पररणा्ों ने भारत िो अपनी आकथ्णि नजररये से देखें तो सवतंत्ता प्राशपत िे स्य
नीकत ्ें रक्षा िे कलए शसत्ों िी वयवसथा िरने िे कलए दूसरे देशों िी भारत िी आकथ्णि शसथकत िाफी खराब थी. लगभग दो सौ वषषों ति
नीकतयों िी ओर धिेला. चली कवदेशी शासिों िी लूट और भारत िे सवदेशी आकथ्णि ढांचे िो
भारत िा सोकवयत संघ िे प्रकत झुिाव और उससे दोसती दुकनया िे सायास पहुंचाई गई क्षकत िे पररणा्सवरूप 1947 ्ें भारत िेवल िृकष
सा्ररि स्ीिरणों ्ें उसिी शसथकत कबगड़ने से बचाती रही. इसिे आधाररत ि्जोर अथ्णवयवसथा था. यहां उपलबध प्रािृकति संसाधनों
बावजूद भारत दुकनया िे सा्ने किसी गुट िा सदसय होने से अलग िो िच्चे ्ाल िे तौर पर ससती दरों पर इंगलैंड भेजा जाता था जबकि
पहचान बनाए रखने ्ें सफल रहा. चीनी ह्ले िे बाद अ्ेररिी शह इंगलैंड और अनय औद्ोगीिृत देशों ्ें हुआ उतपादन यहां िे बाजार ्ें
पाए पाकिसतान ने भी भारत पर 1965 ्ें ह्ला किया कजसिा भारत ने खपाया जाता था.
्ुंहतोड़ जवाब देिर साकबत िर कदया जरूरत पड़ने पर वह युद्ध िर भारत िे पास ऐसे संसाधन ही नहीं थे कजनिे सहारे देश िी जनता
भी सिता है और जीत भी सिता है. पाकिसतान आंतररि ्ोचचे पर भी िे आकथ्णि कविास िी बुकनयाद रखी जा सिे. ऐसे ्ें पूरी दुकनया ्ें
पूवटी पाकिसतान िे लोगों िे साथ भी अनयाय और अनीकत िरता रहा. जहां से भी क्ल सिे आकथ्णि और तिनीिी सहायता प्रापत िरना देश
पूवटी पाकिसतान िो पूरी तरह रौंद देने िी उनिी रणनीकत अंततः भारत िी पहली जरूरत थी. कव्व राजनय ्ें सवतंत्ता िे पहले दो दशिों
िे हसतक्षेप से कवफल हुई और 1971 ्ें पूवटी पाकिसतान िा बांगलादेश ्ें ्हतवपूण्ण शसथकत ्ें होने िे िारण भारत ने सोकवयत संघ स्ेत सभी
िे रूप ्ें उदय हुआ. इस युद्ध ने दकक्षण एकशया ्ें भारत िी शशकत उन्त देशों, कव्व बैंि तथा अनय वैश्वि संसथाओं िा सहयोग हाकसल
िो पूरी तरह से सथाकपत िरते हुए उसे एि क्षेत्ीय शशकत िा दजा्ण तो किया. वयापि जनस्ुदाय िो आकथ्णि-सा्ाकजि कविास ्ें भागीदार
कदया, लेकिन चीनी ह्ले िे बाद से भारत िे पड़ोकसयों ने भारत िो बनाने िे कलए कनयोकजत कविास िा ्ॉडल अपनाते हुए योजना आयोग
ि्जोर स्झते हुए सी्ा कववादों िा जो कसलकसला शुरू किया वह िी सथापना िी थी. योजना आयोग िी पंचवषटीय योजनाओं पर चलते
इस 1971 िी जीत िे बाद भी चलता रहा. हुए देश ने अभी ति कवकभन् क्षेत्ों ्ें जो भी कविास हाकसल किया है,
सी्ा पर पड़ोकसयों िे साथ इन उलझनों ने भारत िे वैश्वि उसे निारा नहीं जा सिता है. हर बात िे कलए दूसरे देशों पर कनभ्णर
नेतृतविता्ण िे रूप ्ें उभरने िी संभावनाओं िो बुरी तरह प्रभाकवत रहा सवतंत् भारत इन वषषों ्ें िई क्षेत्ों ्ें आत्कनभ्णर ही नहीं हुआ है
किया. सोकवयत संघ िे कवघटन िे बाद वैश्वि संतुलन िी पुनर्णचना बशलि कनया्णति िी भूक्िा ्ें आया है.
िे क्् ्ें कव्व लगभग एि ध्ुवीय हो गया. इस शसथकत ्ें भारत िी यद्कप इन 70 सालों ्ें हुई आकथ्णि प्रगकत िा लाभ अभी ति
पहचान वैश्वि शशकत िे बजाय एि एकशयाई शशकत िे रूप ्ें रह स्ाज िे सभी वगषों ति नहीं पहुंचाया जा सिा है, कफर भी उम्ीद िी
गई. नेहरू िे बाद भारतीय नेतृतव ्ें वैश्वि दृशष्ट िा अभाव, देश िी जा सिती है कि उकचत आकथ्णि नीकतयों िे साथ भारतीय अथ्णवयवसथा
आंतररि उलझनों और इनसे कनपटने िे क्् ्ें हुए नीकतगत पररवत्णनों आने वाले वषषों ्ें सुदृढ़ होगी. भारतीय बाजार िा आिार दुकनया भर
ने कव्व रंग्ंच पर सा्ररि दृशष्ट से भारत िी भूक्िा िो सीक्त िे कनवेशिों िे कलए आिष्णि बना रहेगा तो उसिी सा्ररि शसथकत
िर कदया है. पर भी अनुिूल प्रभाव पड़ेगा. n
w1-15 अगस्त, 2017w I गंभीर समाचार I 21