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आवरण कथा
त्तर के दशक के दौरान दनेश तजस आतथजाक गततरोध सने गुजर रहा था, उसका तजसको जरा सा भरी
अंदाजा होगा वह बैंकों के राष्रिरीयकरण करी ज़रूरत को समझनने सने कभरी चूक नहीं सकता. इन बैंकों
सनने भारत करी आतथजाक सावजाभौतमकता करी वह ज़मरीन तैयार करी तजसका सबसने बडा सुफ्ल हमें 2008
के वैस्शवक मनेलट्ाउन के समय दनेखनने को तम्ला था. तबना राष्रिरीयकृत उद्ोगों के भारत का औद्ोतगकरीकरण
असंभव था. बैंकों के राष्रिरीयकरण सने राजय के पास उप्ल्ध हुई तनवनेश करी भाररी पूंजरी के तबना हमाररी आतथजाक
आजादरी करी रक्षा असंभव थरी .
दुभाजागय सने आज राष्रिरीयकृत बैंकों के तव्लय और तनजरीकरण करी मुतहम शुरु हुई है जो इततहास करी घडरी
को उलटरी च्लानने करी कोतशश है. वातशंगटन कंसनेनसस तवफ्ल रहा है. अट्सरी के दशक में आईएमएफ़ साररी
दुतनया को ढांचागत समायोजन के जो सारने नुट््खने तदया करता था, 2008 में हमनने उनकरी शवयात्ा भरी दनेखरी है.
अरुण माहे्िरी दरअस्ल, आज सरकाररी संपततयों का तनजरीकरण इन संपततयों करी खु्लरी ्लूट के तसवा कुछ भरी नहीं. शासक
वाम तचंतक व तवश्लनेषक द्ल अपनने अग़्ल-बग़्ल के ्लोगों को इससने उपकृत करता है. यह अथजावयवट्था करी तकसरी समट्या का तनदान
arunmaheshwari1951@gmail.com नहीं है. यह क्ोनरीकैतपटत्लजम करी ्लाक्षतणक तवशनेषता है.
जहां तक आज के आधुतनक भारत में तकसानों करी आतमहतया का सवा्ल है इनकरी वजह कुछ और है. एक
्लंबने अससे सने यहाँ पूंजरीवादरी तवकास के तहत में ग्रामरीण क्षनेत्ों के साथ औपतनवनेतशक क्षनेत्ों करी तरह का स्लूक
तकया जा रहा है. नाबा््ड या अनय ग्रामरीण बैंकों के जररयने इस ्लूट करी भरपाई नहीं हो पाई है. ्लंबने का्ल सने गांवों
में सरकार करी ओर सने तनवनेश नहीं हो रहा है. आधुतनक कृतष के सारने बोझ को ्खुद तकसानों को अपनने कंधों
पर उठाना पड रहा है. यहरी वजह है तक तकसानों पर क़ज़़ों का बोझ बढ़ रहा है. उनके उतपादों के वातजब दाम
के त्लयने मंत्यों के तजस प्रकार के ननेटवक्क
ककसानों पर कर्ज का करी ज़रूरत है, तनवनेश के अभाव में उसका
तवकास भरी नहीं हो पाया है. उतपादों के
भं्ारण के त्लयने जरूररी अनय वयवट्थाओं
का तवकास भरी प्रभातवत हुआ है. तकसानों
बोझ सरकार ने लादा है काम कर रहने हैं.
करी आतमहतया के मू्ल में यने सभरी कारण
दरअस्ल, हम जय जवान-जय तकसान
जैसने नारने ्लगातने हैं. ्लनेतकन नारने राजनरीततक
धोखने का दूसरा नाम है. वैसने आज मोदरी
जरी तो भारत करी सभरी समट्याओं का समाधान अपनने कोरने भाषणों के ब्ल पर कर दनेना चाहतने हैं. वने
तबना नगरपात्लकाओं के तानने-बानने को ठरीक तकयने भारत को ट्वचछ बना दनेना चाहतने है! जन-धन के
प्रचारमू्लक अतभयान सने ग़ररीबरी दूर कर दनेना चाहतने हैं! तबना कूटनरीततक गतततवतधयों के वने फूंक मार कर
पातकट्तान को ्खतम कर दनेना चाहतने हैं! दुतनया के बडडे-बडडे ननेताओं सने ग्लने तम्ल कर भारत को तवशवगुरु
बना दनेना चाहतने हैं! इनके पास भतवष्य दृस्ष्ट का इतना सखत अभाव है तक नोटबंदरी और जरीएसटरी करी तरह
के तमाम क़दमों सने यथास्ट्थतत में तबखराव तो पैदा कर दनेतने हैं, ्लनेतकन उसने समनेट कर तकसरी नई तदशा में
नहीं ्लने जा पातने हैं. वने नारों के सहारने नायकतव हातस्ल करना चाहतने हैं. पर नायकतव का युग कब का ्लद
चुका है. दुतनया नने आधुतनक का्ल में ननेपोत्लयन सने ्लनेकर तहट्लर तक में उसके सारने सकारातमक और
नकारातमक पक्षों करी इंततहा को दनेख त्लया है. सच तो यह है तक नायकतव का आधार है अंध-तवशवास ;
एक प्रकार करी धातमजाक आट्था .
हाँ, एक बात और, और वह यह तक धमजा-आधाररत राजनरीतत का आधुतनकता सने कोई मने्ल नहीं है.
यह तसवाय तबाहरी के हमें कुछ नहीं दने सकता. पूरा मधयपूवजा और पातकट्तान भरी इसरी तबाहरी करी गवाहरी
दने रहा है. भारत में आरएसएस और उसके तमाम संगठन वैसने हरी अतववनेकपूणजा पतन के राट्तने पर दनेश को
धके्ल दनेनने में ्लगने हुए हैं. समय करी मांग है ट्वातंत्र् और परट्पर सहनशरी्लता के साथ आधुतनक जरीवन
शै्लरी. इसमें धमजा करी तरह के पुरातनपंथ के प्रवनेश का अथजा है पूरने समाज को एक ट्थायरी तनाव में ्ा्ल दनेना.
सनद रहने तक आजादरी मानव सभयता करी केंद्ररीय तनयामक शस्कत है. आजादरी के अभाव में अतधकार
या कतजावय, तकसरी करी भरी कोई साथजाक कलपना तक नहीं करी जा सकतरी है. इसत्लए आजादरी के तकसरी भरी
रूप सने कोई भरी समझौता नामुमतकन है. n
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16 I गंभीर समाचार I w1-15 अगस्त, 2017w