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राजनैकति तंत् िे साथ और भारतीय स्ाज िी ्नोवृकत् िो िाफी
पररवकत्णत किया. सवतंत्ता संग्ा् ्ें जन्े और पललकवत हुए आदश्णवादी
सोच िी जगह यथात्णवादी दृशष्टिोण और उपयोकगतावादी कचंतन ने ले
ली. इन सबिा प्रभाव भी ह्ारी अथ्णवयवसथा और नीकतयों पर पड़ा. इस सितंत्रता संग्ा्म ्में जन्मे और पललवित
िारण वष्ण 1969 ्ें प्रधान्ंत्ी इंकदरा गांधी द्ारा बैंिों िे राष्ट्रीयिरण हुए आदश्थिादी सोच की जगह यथात्थिादी
जैसी पहल भी पूंजीवादी अथ्णवयवसथा िी ओर बढ़ते िद् था् ना पायी. दृष्टकोण और उपयोवगतािादी वचंतन
वष्ण 1979 िे सोकवयत संघ िे कवघटन ने कव्व राजनीकत िा ने ले ली. इन सबका प्रभाि भी ह्मारी
स्ाजवादी कविलप स्ापत िरिे भू्ंडलीय राजनीकत िो एि ध्ुवीय
बना कदया. कफर 1980 िे दशि से आकथ्णि सुधारों िी बात जोर-शोर से अथ्थवयिसथा और नीवतयों पर पड़ा. इस
शुरू हो गयी. 1990 िा दशि आने पर प्रधान्ंत्ी नरकसमहा राव और कारण िर्थ 1969 ्में प्रधान्मंत्री इंवदरा
कवत््ंत्ी डॉ ्न्ोहन कसंह िे नेतृतव ्ें भारत ने स्ाजवादी वयवयसथा गांधी द्ारा बैंकों के रा्ट्ीयकरण जैसी
िा चोला उतार िर देश िो अ्ेररिा िे नेतृतववाली भू्ंडलीय पहल भी पूंजीिादी अथ्थवयिसथा की ओर
अथ्णवयवसथा िे साथ जोड़ कलया. कवदेशी पूंजी िो भारत ्ें कनवेश िे बढ़ते कद्म था्म ना पायी.
कलए आ्ंकत्त किया जाने लगा और भारतीय वयवसाकययों ने भी अ्ेररिा
तथा पश्च् एकशया िे त्ा् छोटे-बड़े देशों ्ें कनवेश और वयापार
प्रारंभ िर कदया.
अपनी त्ा् आकथ्णि कवष्ताओं और अस्ानताओं िे बावजूद
आज भारत कव्व िी एि बड़ी अकथ्णि शशकत है. राजनैकति िारणों से ि्जोर नेतृतव ने भाजपा िे इन प्रयासों िो बल कदया.
आज प्रधान्ंत्ी नरेंद्र ्ोदी चाहे जो भी िहे, सच यह है कि आजादी िे िुशल प्रशासि और खयाकतप्रापत अथ्णशासत्ी होने िे बावजूद
बाद िे कपछले 70 सालों िी सारी िक्यों और सारे भ्रष्टाचार िे बावजूद डॉ ्न्ोहन कसंह जनाधार कवकहन प्रधान्ंत्ी थे. संगठन क्ष्ता
ह्ने आकथ्णि क्षेत् ्ें आशातीत सफलता प्रापत िी है. और जनस्थ्णन िे बावजूद सोकनया गांधी ज्ीनी नेता नहीं थी.
अथ्णवयवसथा और राजनीकत साथ-साथ चलती है. और राजनीकत िा इसकलए भाजपा िे तीखे आक््णों से बचाव िा िाय्ण अनुभवहीन
सत्ा संघष्ण अथ्णवयवसथा िो भी प्रभाकवत िरता है. वष्ण 1998 िे बाद राहुल गांधी िे िंधों पर पड़ा. यकद िांग्ेस बचाव और भाजपा पर
भारतीय जनता पाटटी ने सत्ा िा सवाद चखा, कजसने एि नये वग्ण पलटवार िा िा् शायद किसी ज्ीनी नेता िे पलले होता तो
िी आिांक्षाओं िो परवान चढ़ाया. वष्ण 2004 िे चुनावों ्ें भाजपा िांग्ेस िो इतना रक्षात्ि न होना पड़ता.
िी अप्रतयाकशत हार ने इस वग्ण िो बहुत भ्रष्टाचार और घोटालों ने भाषण िला और प्रचारतंत् ्ें दक्ष
हताश किया और उसने सत्ा ्ें वापस राष्ट्रीय सवयं सेवि संघ से प्रकशकक्षत भाजपा नेताओं िो बढ़त दी
आने िे कलए पुरजोर प्रयास और वष्ण 2014 िे चुनाव ्ें प्रधान्ंत्ी नरेंद्र ्ोदी िे नेतृतव ्ें
शुरू िर कदये. िांग्ेस ्ें भाजपा पूण्ण बहु्त से कवजयी हुई. िांग्ेस ्ुकत भारत और नेहरू
राजनीकति दृशष्ट से पररवार िे कवरोध िो बल क्लने िे साथ भारत िे आकथ्णि
कविास िा एि नया अधयाय शुरू हुआ. योजना आयोग िो भंग
िर और इसिे सथान पर नीकत आयोग िा गठन िर प्रधान्ंत्ी
्ोदी ने सपष्ट संिेत कदया वह पुराने सथाकपत िाय्ण से हट िर
आकथ्णि कविास िी नई राह पर चलना चाहते हैं. यह स्ाजवाद
और साव्णजकनि क्षेत् िे अंत िा उदघोष था.
कव्व िा िोई भी देश या स्ाज अपने आप ्ें न पूण्णतः
स्ृद्ध है और ना ही सुवयवशसथत. हरेि देश िी चाहे वह छोटा हो
या बड़ा, अपनी स्सयाएं है. िल जो उपकनवेशवादी देश कजनहोंने
कव्व िी त्ा् संपकत् िा अपने यहां संचय किया था और अकत
स्ृद्धशाली ्ाने जाते थे, वह भी आज आकथ्णि संिट िे िगार
पर है. वासतव ्ें इटली, सपेन, ग्ीस और आयरलैंड जैसे
देशों िा आकथ्णि प्रभाव िाफी हद ति ह्ारे जैसे देश िी
कविट आकथ्णि शसथकत िे कलए कजम्ेदार है. इसी िे साथ-
साथ अ्ेररिा और जापान जैसी बड़ी आकथ्णि शशकतयां भी
भ्रष्टाचार और आकथ्णि घोटालों िे दृष्टांतों से ऊपर नहीं
हैं. वहां िे बड़े नेताओं पर भी इस तरह िे त्ा् आरोप
लगते रहे है. कफर भी भारत िे संदभ्ण ्ें िोई ऐसा िारण
नहीं है, जो ह्ें अपने भकवष्य िे बारे ्ें कनराशा िी
ओर ले जाए. n
w1-15 अगस्त, 2017w I गंभीर समाचार I 11