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रखा कि वे कसवाय पेट भरने िे और िुछ सोच ही न पाएं. ऊपर चढ़िर नीचे से गुजरती िालिा ्ेल िो देखा िरता था. उस
अंग्ेजों िो वयापार बढ़ाने िे कलए इस िालिा ्ेल ने अपना बड़ा स्य भी उस्ें जो लोग सफर िरते थे वे िोई आ् यात्ी नहीं होते
रोल अदा किया. इससे एि तरफ तो ्ारवाड़ी और खत्ी वयापारी आए थे. या तो बड़े वयापारी अथवा अकधिारी या ्ंत्ीगण. ्गर तब ति
तो दूसरी तरफ उत्र प्रदेश और कबहार िे ्जदूर. यही िारण है कि यह रेलवे िो हवाई सेवाओं ने पसत िर कदया था. लेकिन रेलवे िे जररये
पहली ट्रेन थी कजस्ें ढेर सारे जनरल िोच और पया्णपत संखया ्ें फसट्ड ्ाल ढुलाई ससती पड़ती थी. इसकलए वयापारी चाहते थे कि गुडस ट्रेनें
और सेिंड तथा इंटर व थड्ड कलास िे िोच जोड़े गए ताकि हर एि तो चलें पर पैसेंजर ट्रेनों िी आवाजाही ि् िी जाए. लेकिन आजादी
िो इस्ें चलने ्ें सुकवधा रहे. यह वह ट्रेन थी कजस्ें वायसराय सफर िे बाद िोई भी रेल्ंत्ी यह िरने िा साहस नहीं िर सिा कयोंकि
िरता था और जब भी ग्टी ्ें राजधानी िलित्ा से कश्ला कशफट ऐसा िरने से उसिी लोिकप्रयता शूनय पर आ जाती. यही िारण रहा
होती पूरी अंग्ेज सरिार इसी गाड़ी ्ें बैठिर चलती. यही िारण रहा कि ्ाल िी ढुलाई िी बजाय पैसेंजर ट्रेनों िो वरीयता तो दी गई
कि यह ट्रेन भारत िा भागय बदलने ्ें बड़ी अह् रही. तब िलित्ा लेकिन उनिे किराये बढ़ाने पर भी जोर नहीं कदया गया. नतीजतन रेल
्ें जूट उद्ोग पनप रहा था और बंगाल िा तटवतटी इलािा जूट िे घाटे ्ें आती चली गई और ्ाल ढुलाई ्ंहगी होती गई. इसिा लाभ
कलए ्ुफीद था पर इसिे कलए खूब ्जदूर चाकहए थे तथा िारखानों वयापाररयों िो क्ला. उनहोंने ्ाल िी ि्ी िा रोना रोिर दा् बढ़ाए.
िो लगाने िे कलए खूब ज्ीन. यह सब बंगाल ्ें क्ला इसीकलए यह एि ऐसा वयकतक्् था कजसने भारत ्ें रेल सेवा िो अपररहाय्ण तो
पूरे बंगाल ्ें जूट उद्ोग पनपा तो उसिे साथ ही जूट िे दलाल भी. बना कदया ्गर उसिे घाटे से उबरने िा िभी िोई प्रयास नहीं किया
चाय उद्ोग पनपा और पूरे देश ्ें उसिा बाजार तैयार हुआ. ्गर गया. शायद यही वजह है कि रेलवे ्ें अब कपछले दरवाजे से किराया
इन उद्ोग-धंधों िो पनपाने िे कलए किसान िो दर-बदर िर कदया बढ़ाए जाने िी पहल िी जा रही है.
गया. दरअसल किसान से निदी ्ें लगान वसूली िे चलते बंगाल िे ्गर रेल िा किराया बढ़ जाने िा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो
किसान िलित्ा आिर ्जदूरी िरने लगे और इतने ि् पैसों पर कि किसी शहर ्ें जािर अपने रोजगार िो ज्ाना चाहते हैं, ्जदूरी
ईसट इंकडया िे एि सा्ानय किरानी िे पास भी दस-दस नौिर हुआ िरना चाहते हैं या जो लोग घू्ने िी ललि रखते हैं. बेहतर होता कि
िरते थे. िलित्ा ्जदूरों िी ्ंडी बनता चला गया. रेलवे जनसाधारण ट्रेनें भी चलाता कजन पर चढ़िर एि गरीब वयशकत
जब गोकवंदनगर ्ोहलले ्ें रेलवे करिज बना तब ्ैं अकसर उसिे भी अपनी इचछा पूरी िर पाता. n
w1-15 अगस्त, 2017w I गंभीर समाचार I 9