Page 13 - GS_Final Print
P. 13
आवरण कथा
सितंत्र भारत के सपने
्े रे जीवन िा पहला अख़बार लखनऊ िा सवतंत् भारत था. लखनऊ और
अवध िे इलािे ्ें उसिी धाि थी. उस अख़बार िी एि कवशेषता ने ्ेरा
धयान तब खींचा था और आज भी वह बात आंदोकलत िरती है. ्ेरी जानिारी
्ें वह भारत िा अिेला अख़बार है, जो 15 अगसत 1947 िो कनिला. इससे
जयादा ्हतवपूण्ण बात यह थी कि उसे कनिालने िा फैसला पायकनयर कलक्टेड ने
किया, कजसे अंग्ेजों िा अख़बार ्ाना जाता था. सन 1865 ्ें इलाहाबाद से कनिले
पायकनयर िे शुरुआती संवाददाता अंग्ेजी सरिार िे दोसत (्ुखकबर) हुआ िरते
प्रमोद िोशी थे. सन 1947 आते-आते उस अख़बार िा सवाक्तव िानपुर िे जयपुररया हाउस
वररष्ठ पत्कार एवं राजिीनतक और अवध िे नवाबों िी संसथा अंजु्न-ए-अवध िे पास आ चुिा था. उस संसथा
नवशलेरक ने सोचा कि उसे 15 अगसत से कहंदी ्ें दैकनि अख़बार कनिालना चाकहए. वह एि
pjoshi23@gmail.com कवराट सवप्न था, कजसिे तार भारतीय जनता िे सपनों से जुड़े थे.
उस सपने िा कया हुआ और वह िहाँ गया, यह अलग िहानी है. पर उस िहानी िे
साथ भारत िे कजन सपनों िी यात्ा शुरू हुई थी, वह आज भी जारी है. कपछले सत्र
साल ्ें ह्ारा ्ीकडया िई तरह िे ्ुिा्ों से होिर गुजरा है. प्रेररत िर सिती है.
उसिी सफलता और कवफलता िे त्ा् उदाहरण ह्ारे सा्ने लगन, जीवट और ्ेहनत िो जब पुरसिार क्लता है, तो
हैं. देश ्ें लोितांकत्ि संसथाओं िा कविास अभी चल ही रहा वह सा्ूकहि आनंद िी घड़ी होती है. पूरा स्ाज उसिा
है. कपछले 70 साल ्ें कनकव्णवाद रूप से जो बात सा्ने आई, आनंद लेता है. सोशल ्ीकडया िा उदय जीवन ्ें ्ा्ूली
वह यह कि इस देश िे पास भी सपने हैं, कजनहें पूरा िरने वाली लोगों िी बढ़ती भूक्िा िो उजागर िर रहा है. कपछले
वयवसथा िो कविकसत होना चाकहए. यहाँ ्ैं िेवल उन ्ा्ूली साल रिाजील िे ररयो कड जेनेरो ्ें हुए ओकलशमपि खेलों
लोगों िे सपनों िी बात िर रहा हूँ कजनसे ह्ें रूबरू होने िा िे पहले कदन एि तसवीर वायरल हुई कजस्ें दकक्षण
्ौिा क्ल रहा है. इन सपनों िे सा्ने आने या न आ पाने िी िोररया और उत्र िोररया िी दो कजम्ासट ली युन
वजह वह ्ीकडया है, जो अपनी कजम्ेदाररयों िो ठीि से स्झ जू और होंग उन-जोंग क्लिर सेलफी ले रहीं थीं.
नहीं पाया है. यह सेलफी उनिी यादगार बन गई.
रकववार, 2 जुलाई 2017 िो ्कहलाओं िी कव्विप कक्िेट कजम्ाशसटकस िे ट्रेकनंग सेशन ्ें दोनों जब
प्रकतयोकगता ्ें भारत और पाकिसतान िा ्ुिाबला था. टॉस सेलफी ले रहीं थीं, किसी फोटोग्ाफर ने
जीतने िे बाद भारतीय टी् पहले बललेबाजी िे कलए आई. उनिी तसवीर ले ली. यह तसवीर
हालांकि भारतीय ्कहला कक्िेट टी् िो पाकिसतानी टी् से भारी ‘ओकलशमपि भावना’ िी
्ाना जाता है, पर उस रोज भारतीय टी् ढेर होती गई. िुल ज्ा तसवीर थी. दोनों देशों
169 रन पर पूरी टी् कवदा हो गई. ्कहला कक्िेट िो ्ीकडया िी गलािाट
जयादा तरजीह नहीं देता, पर ्ुिाबला भारत-पाकिसतान िा हो
तो हर बात ्हतवपूण्ण हो जाती है. भारतीय टी् िे बहुत ि्
रनों पर कस्ट जाने िे बाद यह ्ैच प्रकतष्ठा िा कवषय बन गया.
अचानि उस ्ैच ्ें एिता कबष्ट ने पाँच कविेट कनिालिर
भारतीय टी् िो कवजय कदला दी. ्ैच ्ें जीत कदलाने वाली
लड़िी एिता उत्राखंड िे अल्ोड़ा शहर से आई है.
उसिे कपता सेना ्ें हवलदार पद से सेवाकनवृत्
हुए थे. सेवाकनवृकत् िे बाद उनहोंने चाय
िी दुिान खोलिर पररवार िा
भरण-पोषण किया. इस पृष्ठभूक्
से कनिलिर एि लड़िी कव्व-
प्रकसद्ध बन सिती है. और उसिी
िहानी दूसरी त्ा् लड़कियों िो
12 I गंभीर समाचार I w1-15