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आवरण कथा


         आवथ्थक विकास का






         घू्मता चक्र                                                                  प्रो. प्रदीप मा्ुर




                                                                                      मरीत्या तशक्षातवद् व
                                                                                      वैचाररक तवश्लनेषक
                                                                                      drpkmathur@gmail.com

          कद्   तीय ्हायुद्ध िी स्ाशपत िे बाद िा कव्व सपष्ट रूप से दो   कवरोध भी िरना  प्रारंभ  िर  कदया. जहां पूंजीवादी देशों िो यह


                गुटों ्ें बंटा हुआ था. जहां एि ओर अ्ेररिा तथा पश्च्ी
                                                             पहल अथ्णवयवसथा िे कलए खतरा कदखाई दे रही थी, वही भारतीय
                यूरोप िे पूंजीवादी देश थे, वहीं दूसरी ओर सोकवयत संघ
                                                             िा डर सता रहा था.
                और पूवटी यूरोप िे स्ाजवादी देश तथा चीन था. स्ाजवादी   िारपोरेट सेकटर िो ससते ्ूलय पर िच्चे ्ाल िी प्राशपत बंद होने
          देशों ्ें ्ाकस्णवाद िी धारणा पर िेंकद्रत व कनयंकत्त अथ्णवयवसथा और   वष्ण 1960 से 1980 ति िे वष्ण भारतीय अथ्णवयवसथा िे कलए
          उतपादन िे साधन सरिार िे हाथ ्ें थे. पूंजीवादी वयवसथा िे उलट   वैचाररि संघष्ण, कवरोध, कव्श्ण िे दशि रहे. प्रेस द्ारा कनयंकत्त
          बाजार पर सरिार िा कनयंत्ण तथा कनयोकजत आकथ्णि कविास द्ारा   जनसंचार ्ाधय्ों द्ारा पूंजीवादी वयवसथा िा गुणगान और पशबलि
          स्ाज िे सभी वगषों ्ें स्ान आकथ्णि कविास िा दावा किया जा   सेकटर िा उपहास उड़ाया गया तथा उनिी िक्या कगना िर उनिे
          रहा था.                                            कवरुद्ध जन्त खड़ा किया गया. करिकटश िुलीनतंत् तथा यथाशसथकत
            करिकटश उपकनवेशवादी वयवसथा ने भारतीय अथ्णतंत् िा भरपूर दोहन   िे पोषि नौिरशाही ने भी कनजी सेकटर िा साथ कदया.
          किया था. रही-सही िसर उनिे सा्ंतवादी कपट्ठूओ ने पूरी िर दी   वष्ण  1962  िे  चीनी  सैनय  आक््ण,  कनयोकजत  क्कश्त
          थी. इसी िारण आकथ्णि कविास सवतंत् भारत िे कलए एि बहुत बड़ी   अथ्णवयवसथा िे जनि व प्रेरि प्रधान्ंत्ी जवाहर लाल
          चुनौती थी. अथ्णवयवसथा पूरी तरह िृकष पर आधाररत ि््ण और उद्ोग   नेहरू िे कगरते सवासथ और वष्ण 1961 ्ें
          पर कनभ्णर थे. िृकष औऱ उद्ोग िे कनवेश िे कलए पूंजी और आकथ्णि   उनिी ्ृतयु िे बाद पशबलि सेकटर
          संसाधनों िा कनतांत अभाव था.                        पर ह्ले और तेज हुए. वष्ण
            भारत ने आकथ्णि कविास िी इस चुनौती से कनबटने िे कलए क्कश्त   1965  िे  पाकिसतान
          अथ्णवयवसथा और कनयोकजत कविास िा ्ाग्ण अपनाया. कव्व िे दो   युद्ध और वष्ण 1971
          बड़े पूंजीवादी औऱ स्ाजवादी देशों िी अथ्णवयवसथा िे सथान पर   िे  बांगलादेश
          भारत  ्ें  क्कश्त  अथ्णवयवसथा  ्ें  पूंजीवादी  उतपादन  िे  साथ-साथ   युद्ध   ने
          साव्णजकनि क्षेत् ्ें भी औद्ोकगि कविास िे कलए िल िारखाने लगाने
          िी वयवसथा हुई तथा कनयोकजत कविास िे कलए पंचवषटीय योजनाएं
          प्रारंभ िी गई. स्ाजवादी- सा्ंती शोषण िे लंबे इकतहास और देश
          िे कवभाजन िी त्ासदी िे बाद िराहते भारतीय अथ्णवयवसथा िे कलए
          कनयोकजत कविास िी पंचवषटीय योजनाएं आशा िी किरण लेिर आयी.
            प्रथ् पंचवषटीय (1952-57) िा िाय्णक्् स्ापत होते-होते यह
          सपष्ट हो गया था कि यकद आकथ्णि कविास िा आधार िृकष िो भी
          बनाया जाए तो भी िृकष िे कविास िे कलए औद्ोकगि क्ांकत िी
          आव्यिता है. िृकष िे िा् ्ें आने वाले ट्ररैकटर और खाद
          तथा िीटनाशि दवाओं िे अभाव िो दूर िरने िे कलए न तो
          भारत िे पास पूंजी थी ना ही उनिो उच्च ्ूलयों पर खरीदने िी
          आकथ्णि क्ष्ता. साथ ही साथ कबजली, सड़ि और पानी और
          कसंचाई िी सुकवधा भी औद्ोकगि कविास द्ारा ही संभव था.
            वष्ण 1957-58 ्ें प्रारंभ िी गई कद्तीय पंचवषटीय योजना
          ्ें उद्ोग धंधों पर बल कदया गया और भारत ्ें औद्ोकगि
          क्ांकत िा सूत्पात हुआ. लेकिन साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय
          पूंजीवाद और भारत िे िारपोरेट सेकटर ने इस पहल िा
          10   I गंभीर समाचार I w1-15 अगस्त, 2017w
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