Page 21 - GS_Final Print
P. 21
आवरण कथा
बेहतर िैष्िक भूव्मका का दािेदार है
भारत
श्ीकांत अस्ाना
वररष्ठ पत्कार
shrikant.asthana@gmail.com
िांग्ेस ने नाज़ी ज््णनी िे कखलाफ कनणा्णयि युद्ध ्ें करिटेन िा साथ
त्र साल पहले 15 अगसत, 1947 िे पहले क्षण ्ें जब देने िा फैसला तो किया था किंतु ऐसा िरने ्ें अंग्ेजों िी शतषों िा
एि नई राजनीकति प्रभुसत्ा िे रूप ्ें भारत िा जन् हुआ दबाव जयादा होने िे कवरोध ्ें भारतीय राजयों ्ें िांग्ेस िी सरिारों ने
सथा, दुकनया दो कव्वयुद्धों िे उथल-पुथल से गुजर चुिी थी. इसतीफा देिर कवरोध भी जता कदया था. भारत िी सहानुभूकत फासीवादी
अंतरराष्ट्रीय स्ुदाय नई वैश्वि वयवसथा िे कविास िे क्् ्ें नए ताितों िे साथ िभी नहीं थी. 1939 ्ें जब ज््णनी और रूस ने एि
संयोजनों से गुजर रहा था. साम्ाजयवादी शशकतयां ि्जोर हुई थीं और दूसरे पर ह्ला न िरने िी संकध िी, िांग्ेस ने लगातार आलोचना
लोितंत् तथा कविास नए संयोजनों िे िेंद्रीय ्ूलय िे रूप ्ें उभर िी. युद्धिाल ्ें जापान पर अ्ेररिा द्ारा पर्ाणु ब् कगराए जाने
रहा था. यूरोप और एकशया िे िई देशों ने पूंजीवादी वयवसथा िा दा्न िी घटना से भारतीयों िो पहुंचे आघात िी अकभवयशकत भी भारत
छोड़ िर स्ाजवाद िो अपना कलया था. ने िी थी. इसी बीच दुकनया ने गांधी िे अकहंसा कसद्धांत और उनिे
कव्व िे अकधिांश कहससों पर अंग्ेजों िा राज फैलने िे साथ उसिे नेतृतव ्ें अकहंसा िे प्रयोगों िी वयापि सफलता िो भी देखा और
सबसे बड़े और स्ृद्ध उपकनवेश िे रूप ्ें भारत िी छकव धीरे-धीरे शांकतपूण्ण सहअशसततव िे कलए युद्ध से बेहतर ्ानवीय कसद्धांतों िे
बदलनी शुरू हुई थी. भारतीय जनता िी सबसे बड़ी प्रकतकनकध िे रूप रूप ्ें सवीिार किया. युद्ध से त्सत दुकनया िे कलए, खास तौर पर
्ें िांग्ेस ने 1920 से ही वैश्वि ्ा्लों ्ें अपना रुख जताना शुरू एकशयाई, अफ्ीिी, लैकटन अ्ेररिी और यूरोप िे छोटे देश भारत िो
िर कदया था. दरअसल, िांग्ेस ने 1920 ्ें एि अकधवेशन िे दौरान नई कव्ववयवसथा िी एि बड़ी उम्ीद िे तौर पर देख रहे थे. दुकनया
अंतरराष्ट्रीय नीकत िे रूप ्ें पड़ोसी देशों से ्ैत्ीपूण्ण सहयोग िे बारे भर ्ें साम्ाजयवाद िे कखलाफ आंदोलनों और नवसवतंत् देशों िो
्ें प्रसताव पाररत किया था. जवाहर लाल नेहरू िी पहल पर 1927 ्ें स्थ्णन देने िी सवतंत्ता पूव्ण िी भारतीय नीकत ने भी उसे दुकनया भर ्ें
िांग्ेस ने कवदेशनीकत पर बयान जारी किया था कजस्ें िहा गया था कि सिारात्ि और नैकति शशकत िे िेंद्र िे रूप पहचान कदलाई.
भारत किसी साम्ाजयवादी युद्ध िा कहससा नहीं बनेगा. सवतंत्ता संघष्ण भारत इस बात िो किसी हद ति स्झ रहा था. इसीकलए सवतंत्ता
िे दौरान ही भारतीयों ने अ्ेररिा से भी इस संघष्ण िो आगे बढ़ाने िे िी औपचाररि घोषणा होने िे िाफी पहले कसतमबर 1946 ्ें अंतरर्
प्रयास किए थे. इन सभी िारिों िे सशम्कलत प्रभावसवरूप अंग्ेजों िी सरिार िे गठन िे तुरंत बाद भारत ने अ्ेररिा, सोकवयत संघ,
परतंत्ता िे बीच भी दुकनया भर ्ें भारत और उसिे सवतंत्ता संघष्ण िी चीन और िई अनय देशों िे साथ राजनकयि संबंध सथाकपत किए.
एि सिारात्ि छकव बन रही थी. अंतरराष्ट्रीय स्ुदाय ्ें भावी भारत िी शसथकत और नीकत सपष्ट िरने िे
परतंत्ता िे दौरान भी भारतीयों िे प्रकतकनकध िे रूप ्ें िांग्ेस ने उद्े्य से ही 1947 िे प्रारंकभि कदनों ्ें ही अंतरर् सरिार ने एकशयाई
1930 ्ें जापान, ज््णनी, इटली िे साम्ाजयवादी ्ंसूबों और पड़ोसी संबंध सम्ेलन िा आयोजन किया था कजस्ें 29 देशों ने भाग कलया
देशों पर उनिे आक््ण िी भतस्णना िरिे चीन, ्ंचूररया, इकथयोकपया था. इस बैठि िे पररणा्सवरूप एकशयाई देशों ्ें पारसपररि संबंधों िे
आकद देशों ्ें ही नहीं बशलि सवतंत्ता प्राशपत िे कलए संघष्णरत अफ्ीिी प्रकत एि नए दृशष्टिोण िा कविास होने ्ें ्दद क्ली.
और एकशयाई देशों िे बीच भी सिारात्ि छकव कविकसत िरने ्ें सवतंत्ता प्राशपत िे तुरंत बाद भारत ने कनगु्णट आंदोलन िो जन् कदया.
सफलता पाई थी. इन सभी देशों िे साथ ही, कव्व िी बड़ी आकथ्णि नेहरू िे प्रसताकवत पंचशील कसद्धांत िो क्स् िे नाकसर, इंडोनेकशया िे
और सैनय शशकतयों िो भी भारत िी सवतंत्ता िे साथ ही एि और सुिणणो और युगोसलाकवया िे ्ाश्णल टीटो िा वयापि स्थ्णन क्ला.
संभाकवत कव्वशशकत िे उदय िा आभास हो गया था. सवतंत्ता िे औपचाररि रूप से पंचशील कसद्धांत 1954 ्ें सा्ने आया. इसिे बाद
पहले िी िांग्ेस िे कवदेश नीकत संबंधी रुख-रवैये िे सूत्धार रहे 1955 ्ें बांडुंग ्ें हुए अफ्ो-एकशयाई सम्ेलन ्ें भाग लेने गए नेहरू
जवाहर लाल ही सवतंत्ता प्राशपत पर देश िे पहले प्रधान्ंत्ी बने. ने दूसरे देशों िे सा्ने पंचशील कसद्धांत रखा. आकथ्णि-सांसिृकति
सपष्टतः देश िी कवदेश नीकत उसी रासते चली कजस पर िांग्ेस नेता िे सहिार, ्ानवाकधिार, आत्-कनण्णय और कव्वशांकत तथा सहयोग
रूप ्ें वे कपछले 20 वषषों से वह प्रयासरत थे. िे लक्य िे साथ आयोकजत इस बैठि ्ें गुट-कनरपेक्षता िे कवचार िो
भारत िी प्रारंकभि कवदेशनीकत और पररणा्ी वैश्वि छकव िा वयापि स्थ्णन क्ला. वे सभी देश इस नए कवचार िी ओर आिकष्णत
कविास दोनों कव्वयुद्धों िे बीच िे िाल हुआ था. दूसरे कव्वयुद्ध ्ें हुए जो कद्तीय कव्वयुद्ध िे बाद कद्ध्ुवीय वैश्वि वयवसथा िे कविास
20 I गंभीर समाचार I w1-15 अगस्त, 2017w