Page 60 - CHETNA January 2019 - March 2019FINAL_Neat FLIP
P. 60
की. तरह-तरह की वस्तुएिं खरीदें. तब अिंत में वह वापस अलीर्ढ़ चल दी.
अपने हदल में वववाह के सुिंदर सपनों का रप सिंवार कर. एक नये भावी
जीवन की शुरुआत का ख्याल रखे हए. किर से एक नवीन सहारे की
ु
बाहों में जाने का पक्का इरादा शलए हए कार चलाती रही.
ु
पूरे दो घिंटे तक कार चलाने के बाद जैसे ही उसने सुदामापुरी में
जस्थत अपनी कोठी के लॉन में कार रोकी तो सामने बरामदे में खड़े हए
ु
अपने वपता को देख कर वह चौंक सी र्ई. वे चुपचाप खड़े हए थे. साथ
ु
ही बे-हद र्म्भीर भी. उनकी इस मुरा को देखने से ऐसा लर्ता था कक
वे जैसे उसी के वापस आने का इिंतज़ार कर रहे थे. सररता के कार से
नीचे उतरने के बाद दीपक भी बाहर आ र्या. आते ही उसने औपचाररता
के नाते रक्षपाल शसिंह को हाथ जोड़ते हए नमस्ते की.
ु
'नमस्ते.' रक्षपाल शसिंह ने र्िंभीरता से कहा, किर वे दीपक से सिंबोगधत
हए और बोले,
ु
'दीपक, मैंने तुमको सररता को अिंधेरों से बचाने के शलए एक र्ुजाररश की
थी, परन्तु लर्ता है कक, तुमने उसको अन्धकार से बचाने के तो अलर्
अब मेरे मुिंह पर भी काशलख पोतने की जजम्मेदारी ले रखी है?'
'ये आप क्या कह रहे हैं. मैं क ु छ समझा नहीिं?' दीपक आश्चयच से उनका
चेहरा ताकने लर्ा.
'मैं जो देखता हँ वही कह रहा हँ. तुमको शमच नहीिं आती है कक एक
ू
ू
शादीशुदा लड़की को र्ुमराह करते हए? ये मत भूलो कक तुम क्या हो?
ु
आज के बाद किर कभी इस कोठी की तरि अपना रुख मत करना. तुम
यहाँ से जा सकते हो.'
'?' दीपक चुपचाप सररता की तरि आश्चयच से देखता हआ कोठी के मेन
ु
र्ेट से बाहर तनकल र्या. उसे यूँ जाते हए सररता ने रोकना चाहा तो
ु
उसके वपता ने उसका हाथ पकड़ शलया.
'डैडी?' सररता शससक पड़ी. उसने रोते हए आर्े कहा कक,
ु
'ये आपने क्या ककया?'
'तुम्हारा पतत सार्र शसिंह जीववत है. वह परसों वापस आ र्या है. दीपक
को तुम्हारे रास्ते से हटाने का मेरे पास कोई दूसरा उपाय नहीिं था.
60 | चेतना जनवरी 2019 - माचच 2019