Page 56 - CHETNA January 2019 - March 2019FINAL_Neat FLIP
P. 56
dSuokl
धारावाहहक उपन्यास/शरोवन
चौदहवीिं ककश्त/प्रथम पररच्छेद
अब तक आपने पढा ा़ है;
दीपक की मुलाकात अचानक से शशश से काली देवी क े मजन्दर में हो र्ई तो वह अपने को धन्य
समझने लर्ा। साथ ही ओलों की बरसाती रात में जब वह ठिंड से हठठ ु रने लर्ा तो शशश ने उसे अपना र्मच शाल
ओ ढ़ने क े दे हदया. इस र्मच लेडीज़ शाल को दीपक क े पास देखकर बाला क े हदल में छाले पड़ र्ये. इसके
पश्चात शशश की मिंर्नी आकाश से हो जाती है। दीपक ककसी प्रकार यह बोझ भी बदाचश्त करता है। इसी शमले-
जुले सदमें में वह घर आता है, जहािं पर किर से उसकी मुलाकात बाला से होती है। बाद में दीपक बटेश्वर जाता
है, पर वहािं पर उसकी भेंट किर एक बार शशश से अचानक से हो जाती है। और यह भेंट भी एक अजीब ही प्रकार
से होती है. शशश की आरती क े तमाम पुष्प दीपक क े पैरों पर गर्र जाते हैं। इस मुलाकात क े पश्चात दोनों ही
बटेश्वर घूमते हैं। कािी समय तक एक साथ दोनों का सामीप्य रहता है। मर्र किर भी दीपक शशश की सर्ाई
क े कारि मन ही मन घुटता रहता है। दीपक की इस परेशानी को बाला ने महसूस ककया तो उसकी भी परेशानी
बढ़ने लर्ी। किर एक हदन शशश ने बाला की ककताब में कक्षा क े समय दीपक की एक िोटो अचानक से देख ली
तो दोनों ही की परेशातनयाँ भी एक साथ बढ़ र्ईं. शशश की मिंर्नी क े पश्चात दीपक का हदल ही नहीिं ट ूटा बजज़क
वह खुद में ही त्रबखर र्या. इस प्रकार कक बाला भी उसके अिंदर अचानक से आये ह ु ये पररवतचन को भािंप र्ई. वह
समझ र्ई कक उसका दीपक कहीिं न कहीिं भटक चुका है। ऐसा सोचते ही जहािं बाला को अपने सपनों क े सजाये
ह ु ये महल ढहते नज़र आने लर्े वहीिं दूासरी तरि आकाश भी दीपक की बदलती ह ु ई हदनचयाच देखकर गचिंततत
होने लर्ा। तब इस प्रकार आकाश ने दीपक को नैनीताल भ्रमि क े शलये तैयार ककया और उसे अलमोड़ा क े
शलये भेज हदया. इसी दौरान नैनीताल में दीपक की दुघचटना ह ु ई और उसे उसके सागथयों क े साथ मृत घोवषत कर
हदया र्या. दीपक नैनीताल से कै से भी ठीक होकर वापस शशकोहाबाद आया तो उसे ये जानकार आश्चयच ह ु आ
कक शशश अचानक ही र्ायब हो चुकी है. वह बाला से भी शमला पर तुरिंत ही वह शशश क े खोज में तनकल पड़ा.
शशश की लाश देखकर दीपक खुद भी मरने जा रहा था कक तभी सररता ने उसे बचा शलया. सररता का सामीप्य
जब दीपक को शमला तो वह उसके सहारे अपनने अतीत की हर याद को भी भूलने लर्ा. इसके बाद आनेवाले
हदनों में दीपक सररता क े साथ अपने भावी जीवन क े सपने बनाने लर्ा, लेककन क्या उसके ये सपने पूरे ह ु ए?
इसके बाद क्या ह ु आ? अब आर्े पहढ़ये;
'क ु छ नहीिं.'
'क ु छ तो है? बताओ न?' सररता ने उसे क ु रेदा.
'मैं क ु छ सोच रहा था.'
'क्या?' सररता पेट के बल अपनी दोनों कोहतनयों के सहारे दीपक की
आँखों में देखती हई बोली.
ु
56 | चेतना जनवरी 2019 - माचच 2019