Page 58 - CHETNA January 2019 - March 2019FINAL_Neat FLIP
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'सररता? ईश्वर के शलए किर कभी ये शब्द मत दोहराना.'
'सौरी दीपक.'
'सररता!' दीपक ने सररता के दोनों हाथ पकड़ शलए और उसे देखा. किर
बोला कक,
'तुमने मुझे सहारा हदया है. एक तरह से किर से मुझे सम्भाला है. एक
नया जीवन अब मेरे पास है तो अब कभी पीछे कदम नहीिं बढ़ाना, नहीिं
तो . . .'
'नहीिं तो क्या?'
'मैं क ु छ भी नहीिं कह सकता कक मेरा क्या होर्ा? कहाँ जाऊिं र्ा? कहाँ
भटक ूिं र्ा? शायद तुम्हारा साथ ही मेरा ये अिंततम पड़ाव हो.'
'दीपक, तुम ऐसा क्यों सोचते हो?'
'जला हआ हँ न. ठिंडी चािंदनी से भी अब डर लर्ने लर्ा है. कभी-कभी
ू
ु
ववश्वास ट ू टने लर्ता है'
'क्यों मुझ पर भी अब ववश्वास नहीिं रहा है तुम्हें?' सररता ने जैसे बहत
ु
ही ट ू टे मन से कहा तो दीपक बोला,
'तुम मेरी बात पर ऐसा सोच सकती हो, परन्तु न जाने क्यों ये सब एक
ख्वाब सा लर्ता है जो अचानक ही आँख खुलने पर सदा के शलए ट ू ट
जाएर्ा.'
'बड़े अजीब ही हो तुम? सारा क ु छ अपनी आँखों से देख रहे हो, किर भी
ववश्वास नहीिं होता है तुमको? क ु छ समय के बाद हम दोनों की शादी भी
हो जायेर्ी?'
'ववश्वास तो तुम पर होता है, लेककन जब भी अपनी भाग्य की लकीरों
को देखता हँ तो ये सब ट ू टती सी प्रतीत होने लर्ती हैं.'
ू
'क्यों ऐसा सोचते हो तुम?'
'जब भी मेरे साथ क ु छ अच्छा होने को होता है तभी कोई अचानक से
ऐसी ठोकर लर्ती है कक एक पलक झपकते ही सब त्रबखर जाता है.'
'ये सब तुम्हारे मन का भ्रम है.'
'कभी-कभी भ्रम भी तो सच हो जाता है.'
'अच्छा देखो, तुम्हें अब कोई भी गचिंता करने की तकलीि नहीिं लेनी है.
58 | चेतना जनवरी 2019 - माचच 2019