Page 94 - Microsoft Word - CHETNA MARCH 2020- APRIL 2020 FINAL
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'?'- आप चक =यJ गए?'
'आकाश के Eपता का नाम =या है?'
'आकाश दास.'
'आप दो 5मनट मुझे द%िजये. यह कहकर उसने एक जगह फोन 5मलाया और
क ु छ देर बाद ह% आकर बोला +क,
'आप बहत लक1 ह8.'
ु
'=या?' श5श ने आXचय0 से पूछा.
'म8 आकाश को भल%-भां;त जानता हँ. उसने अल%गढ़ के सुरे# नगर म. एक
ू
बहत बड़ी E ं टंग क1 ेस खोल% है. उसे म8ने आपका हवाला दया तो वह अभी
ु
आता ह% होगा.'
श5श को EवXवास भी नह%ं हआ. वह एक असंमजस म. पड़ गई. आकाश के
ु
बारे म. सुनकर वह हंस भी न सक1. बहत चाहते हए रो भी नह%ं पाई. के वल
ु
ु
खामोश बनी रह%. बहत चुप और उदास भी. रात के लगभग दस बजे के कर%ब
ु
आकाश आया और श5श के बारे म. अल%गढ़ म. जो क ु छ उसके साथ हआ था,
ु
सुनकर दंग रह गया. तब इस तरह से श5श का जीवन एक बार +फर से दर-दर
भटकते हए आकाश क1 शरण म. आ गया. आकाश उसको अपने साथ अपने
ु
;नवास Pथल पर ह% ले आया था. अपने घर पर आकाश उसको हमेशा
समझाता ह% रहा. उसने श5श से बहत सार% बात. कह%ं. उसको बताया +क, वह
ु
=यJ उसके पास 5शकोहाबाद नह%ं आ सका था. उसने श5श को अपनी तमाम
मजबूर प<रिPथ;तयJ का वाPता दया. अपनी बहत सार% समPयाएं भी उसको
ु
बता. और अंत म. जब आकाश ने उससे अपने Eववाह का Pताव +फर से रखा
तो श5श ने तुरंत ह% मना कर दया. यह सुनकर जहां आकाश को घोर आXचय0
हआ वह%ं उसका दल भी ट ू ट गया. +फर जब आकाश ने उसक1 इस मनाह% का
ु
कारण पूछा तो श5श ने PपGट कहा +क, जब तक उसके Eपता खुद इस <रXते को
लेकर दोबारा नह%ं आय.गे तब तक वह इस बारे म. सोच भी नह%ं सकती है.
इसके साथ ह% उसने अपने हाथ म. पहनी हई द%पक क1 अंगूठ© के बारे म. भी
ु
बता दया +क, वह अब तु?हारे बाद इस अंगूठ© भेजने वाले क1 ती-ा भी कर
रह% है. जानना चाहती है +क आHखर वह है कौन? आकाश श5श के मुख से ऐसी
बात. सुनकर आगे क ु छ भी नह%ं कह सका. अपने Eपता के बारे म. भी वह
अbछ© तरह से जानता था +क वे भी आसानी से अपनी जुबान से पलटने वाले
नह%ं ह8. इस तरह से आकाश के eयार क1 भी सार% हसरत. उ?मीद और ना-
उ?मीद के दायरJ म. उलझ कर रह ग. - शेष अगले अंक मे.
94 | चेतना प ढ़ये और आगे ब ढ़ये