Page 89 - Microsoft Word - CHETNA MARCH 2020- APRIL 2020 FINAL
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इद0-vगद0 च=कर काटने शुw कर दए. शायद एक अजनबी को अपने इलाके म.
देख कर वहां के रहनेवाले तुरंत ह% भांप जाते ह8. अल%गढ़ रेलवे Pटेशन पर ह%
उसके यौवन के लालची मनचले उसके आस-पास मंडलाने लगे. श5श ने ऐसा
देखा तो Pवत: ह% उसका दल +कसी अनजानी -;त के भय से घबराने लगा.
उसने तुरंत ह% अपने आस-पास नजर दौड़ाई, एक सहायता क1 आस से, पर#तु
;नराशा के 5सवा उसे और क ु छ भी नह%ं दखाई दया. नह%ं दखा तो उसका
कोमल नार% मन अंदर ह% अंदर रो पड़ा. सब ह% अजनबी थे. उसके यौवन के
भूखे, eयासे, लालची और खूंखार. अनजान, अजनबी अल%गढ़ म. यहाँ उसका था
ह% कौन? वह बेसहारा थी, साथ ह% अपने घर से ;नGका5सत, भागी हई, फरार.
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+कसी को य द ज़रा भी पता चल जाता तो +फर तो उसक1 खैर भी नह%ं थी.
अनजान शहर, अनजानी जगह, अप<रvचत लोग, अके ल% लड़क1, उस पर उसका
बे5मसाल खुबसूरत wप; क ु छ भी हो सकता था. श5श का दल घबराने लगा. इसी
घबराहट म. वह अपना सूटके स पकड़े हए रेलवे Pटेशन के पुल क1 तरफ जद%-
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जद% कदम बढ़ाने लगी.
Pटेशन के बाहर आकर वह सूटके स को थामे हए खड़ी रह%. थोड़ी देर तक.
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+क ं कत0यEवमूढ़.
'मैडम ! टै=सी ?' अचानक एक युवक ने खड़े देख पूछा.
'?' - श5श ने उसको खामोशी से देखा. वह क ु छ पूछती, इससे पहले ह% उस
युवक ने +फर से पूछा +क,
'कहाँ जाना है आपको?'
'?'- श5श के होठ +फर से 5सल गए. उसके दल म. कोई आवाज़ होती तो वह
बाहर भी आती. उसे तो खुद भी नह%ं मालुम था +क उसको कहाँ जाना है. सहसा
ह% उसको आकाश का याल आया. उसने सोचा +क, आकाश ने यहाँ पर अपनी
एक नई E ं टंग ेस खोल% थी, ' आकाश E ं टंग ेस.'
'आपको अगर मालुम है +क कहाँ जाना है, तो म8 5लए चलता हँ.' उसने दोबारा
ू
से पूछा तो श5श बोल%,
'आकाश E ं टंग ेस.'
'यह +कस जगह पर है? यहाँ तो बहत सी ेस ह8.'
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'यह% तो म8 सोच रह% हँ.'
ू
'च5लए ! म8 ले चलता हँ. म8 पता लगा लूंगा.'
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