Page 25 - CHETNA JANUARY 2020- FEBRUARY 2020 FINAL_Neat
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सड़क )बलक ु ल ह जैसे तQहा हो चुक/ थी. 8कसी भी या*ी और दन के समय
के भार यातायात से मह~म. कभी-कभार कोई लार या यदाकदा आने जानेवाला
?क ू टर आ द जब भी वहां से गुज़र जाता था तो अपने शोर के साथ बैठे हए
ु
मधुप के सारे बदन को भी अंधेर रात मC )बजल क/ म |म रोशनी से सनी हई
ु
धूल के गुबार> मC छ ु पा जाता था.
दूर शहर मC शहनाइयां बज रह ं थीं. धूरगोले एक के बाद एक आकाश मC
अपनी रोशनी )बखेरते हए सारे शहर क/ खामोशी का भी जैसे दम तोड़ जाते थे.
ु
सहसा ह बैठे हए मधुप को यान आया 8क अब बारात चढ़ने लगी है. बारात
ु
का हजूम धीरे-धीरे मधुVलका के घर क/ तरफ बढ़ रहा होगा. सुबह होने से
ु
पहले-पहले ह इस रात क/ काल ?याह मC वह 8कसी दूसरे क/ हो जायेगी. 8फर
उसके बाद सब क ु छ समाqत हो चुका होगा. समाqत हो चुका होगा उसके qयार
क/ कहानी का Vलखा हआ अंZतम पृBठ का अंZतम वा=य, उसके Hेम पथ का
ु
अंZतम पग, उसके एहसास, एहसास> क/ संवार -संजोई हई दुZनयां और उसके
ु
जीने के वे तमाम तौर-तर के 8क िजनक/ एक-एक हरकत> मC कभी मधुVलका के
साथ के गुज़ारे हए पल> क/ खुशबू समाई हई थी. 8कतना चाहा था उसने
ु
ु
मधुVलका को? 8कसकदर अपने िज?म क/ एक-एक कतरन> मC उसे बसा रखा
था उसने. इसकदर 8क वह सांस लेता था तो खुशबू मधुVलका क/ आती थी. वह
बात करता था तो मधुVलका के दू}धया, कोमल िज?म पर पहने हए कपड़> से
ु
जेसमीन के जैसे सफे द फ ू ल झड़ने लगते थे. ले8कन सब क ु छ बेकार हो गया.
उसके :वारा qयार के समेटे हए सारे फ ू ल )बखर कर मौसमी हवाओं के दामन
ु
मC जाकर सदा के Vलए लुqत हो गये. एक बार भी वह अपने मन क/ बात कभी
भी उससे नह ं कह सका? अगर कह देता तो शायद आज उसके qयार क/
कहानी का मज़मून ह कोई दूसरा होता?
सहसा ह मधुप को यान आया वह पल और वह समय जब ऐसे ह एक
दन मधुVलका 8फर से उससे पेिQसल मांगने आई और अपनी गलती मानते हए
ु
कहने लगी थी 8क,
‘देखो ! मK 8कतनी ला-परवा होती जा रह हँ 8क हरेक क/मती चीज़ बहत
ू
ु
ह आसानी से खो देती हँ.’
ू
‘=या 8फर से पेिQसल खो द है तुमने?’ मधुप ने कहा तो वह बोल ,
‘हां, पता नह ं न जाने कब और कहां }गर गई है. कह ं खो न जाए
इसीVलये मKने उसे अपने बाल> मC लगा Vलया था, 8फर भी गायब हो गई.’
25 | जनवर -फरवर 2020