Page 27 - CHETNA JANUARY 2020- FEBRUARY 2020 FINAL_Neat
P. 27

तो  मधुVलका  क/  मां  ने  उसको  भी  रंग-)बरंगी  चू„ड़यां  पहनवा  द ं.  तब  चू„ड़यां
        पहनने  के   बाद  मधुVलका  अपने  हाथ  क/  चू„ड़य>  को  कभी  आसमान  क/  तरफ
        उठाते हए उनक/ झंकार> मC खो जाती तो कभी उQहC बड़े ह  qयार से Zनहारने
               ु
        लगती  थी.  वह  अभी  भी  आकाश  क/  ओर  अपनी  नज़रC  उठाये  हए  रंग-)बरंगी
                                                               ु
        चू„ड़य> क/ मधुर झंकार> मC खोई हई थी 8क तभी अचानक से उसे ऐसा लगा 8क
                                    ु
        जैसे अचानक ह  कोई बड़ा सा वृR का तना उससे आ टकराया है. इस Hकार
        8क वह बड़ी बुर  तरह से नीचे जमीन पर जा }गर . एक डरावनी चीख उसके

        मुंह से Zनकल और जब उसको होश आया तो पता चला 8क मधुप 8कसी पतंग
        लूटने क/ कोVशश मC उससे जा टकराया था. उसके  उस समय चोट लगी या नह ं,
        यह तो पता नह ं चला, पर उसके  हाथ क/ नई पहनी हई सार  चू„ड़यां भी ट ू ट
                                                      ु
        चुक/ थीं. मधु अपनी अ?त-‡य?त दशा मC अपने हाथ और कपड़े झाड़ते हए नीचे
                                                                   ु
        भूVम पर से उठ• और बहत `खQन होते हए मधु से बोल ,
                                          ु
                            ु
             'पतंग लूटते हो या मुझे मारने चले थे?'
             'अब . . .अब . . .!' मधु ने अपनी गलती मानते हए क ु छ कहना चाहा 8क
                                                      ु
        तभी मधुप 8फर से भडक गई. बोल ,
             '=या अब, अब लगा रखी है. आँख> का इ?तेमाल भी करना भूल गये हो.
        कह ं मेरे हाथ-पैर ट ू ट जाते तो?'
             'देखते हए तो भाग रहा था, अब तुम भी यह ं, इसी जगह पर खड़ी होगी
                   ु
        मुझे Žयान ह  नह ं रहा.'
             'मेर   सार   चू„ड़यां  तक  तोड़  डाल ं  तुमने.  अ[मा  ने  8कतने  qयार  से  मुझे
        पहनाई थीं.'
             'कोई बात नह ं. मK ला दूंगा तु[हारे Vलए और भी नई चू„ड़यां.'
             'मK ला दूंगा . . .! अब हटो मेरे सामने से. जाने दो मुझे.' मधु कहते हए
                                                                        ु
        जैसे मारे खीज कर चल  गई तो मधुप उसे चुपचाप जाते हए देखता रहा. दोन>
                                                         ु
        के  मŽय मC एक पल मC सारा माहोल ऐसा तनावपूण, हो चुका था 8क मधुप का
        भी पतंगे लूटने का सारा नशा  हरन हो गया था. थोड़ी देर तक अपने ?थान पर
        ह  खड़ा रहा, बाद मC वह भी उदास मन से अपने घर पर आ गया. मधु को

        }गराकर, उसके  चोट मार कर, उसक/ चू„ड़यां तोड़कर उसने अoछा नह ं 8कया,
        बडी रात तक वह इसी बात को सोच-सोच कर अफ़सोस मनाता रहा.
             दूसरे  दन ?क ू ल मC भी मधु उससे नाराज़ ह  बनी रह . उसने क ु छ cयादा
        बात भी नह ं क/. मधुप उससे बोलता तो वह के वल हां-हँ मC ह  उ€तर देती रह .
                                                      ू

               27 |  जनवर -फरवर  2020
   22   23   24   25   26   27   28   29   30   31   32