Page 30 - CHETNA JANUARY 2020- FEBRUARY 2020 FINAL_Neat
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अपनी मनमानी से एक-तरफा qयार क/ डोर थामे हए वह इसकदर दूर आ चुका
ु
है 8क जहां से लौटना अब आसान ह नह ं बिक बेहद क ठन भी है. उसके
बदले हए यालात और सपन> क/ दुZनयां मC तैरते हए हसीन पुBप> के `झलVमल
ु
ु
करते हए रंग> ने जो ~प मधुVलका का बनाकर उसके सामने पेश 8कया तो वह
ु
उसको अपनी बाह> मC समेटने के Vलए बेताब हो गया. उसने सोचा 8क अब
समय आ चुका है 8क उसे मधुVलका से अपने दल क/ बात कह देनी चा हए.
वह भी अब बहत चुप, खामोश और गुमसुम सी रहने लगी है. =या पता जो
ु
बात उसे कहनी चा हए वह मधु कहना चाहती हो, पर कह नह पा रह है और
जो वह उसके मुख से सुनना चाहती है, वह उसने अब तक कह नह ं है?
मगर नह ं, मधुप के अपने मन मC बनाई हई धारणा और त?वीर> का
ु
पदा,फाश जब हआ तो वह यह सब देख और सुनकर _वiवास भी नह ं कर सका.
ु
जब एक दन जब वह एक सqताह क/ छ ु «य> मC अपने घर पर आया हआ था
ु
तब ह मधु उससे अQय दन> क/ भांZत पहले ह के समान Vमल और उससे
8कसी _वशेष काम के Vलए दूसरे शहर के अoछे और बड़े मॉल मC खर दार करने
के Vलए उसक/ कार के साथ जाने क/ गुजाLरश क/. मधुप तो यह सब चाह ह
रहा था सो उसने भी तुरंत हां कह द . 8फर दूसरे दन वे दोन> खर दार के Vलए
चले गये. रा?ते भर मधुप यह सोचता रहा 8क अपने मन क/ बात कहने के
Vलए उसे इससे अoछा अवसर 8फर कभी भी नह ं Vमलेगा. और जब वे दोन>
वापस मॉल से खर दार करके वापस आ रहे थे तो मधु को कह ं दूसरे याल> मC
भटका हआ जान कर मधुप ने ह बात छेड़ी. वह बोला 8क,
ु
'मधु.'
'हां.'
'कई दन> से देख रहा हँ 8क तुम अ=सर ह कह ं न कह ं गुमसुम और
ू
_वचार> मC खो सी जाती हो?'
'तुम ठक कहते हो.'
'सब खैLरयत तो है?'
'नह ं खैLरयत-वैLरयत, क ु छ भी नह ं है.' मधु ने कहा तो मधुप ने उसे एक
पल गौर से देखा, 8फर बोला,
'मK सबब जान सकता हँ?'
ू
'=य> नह ं. जब सबको ह अब धीरे-धीरे पता चलने लगा है तो 8फर तुमको
=य> नह ं मालुम होना चा हए.'
'तो 8फर बताओ न, आ`खर बात =या है?'
30 | चेतना प ढ़ये और आगे ब ढ़ये