Page 26 - CHETNA JANUARY 2020- FEBRUARY 2020 FINAL_Neat
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मधुVलका  ने  बड़े  ह   भोलेपन  से  कहा  तो  मधुप  उसे  बहत  गौर  से  देखते  हए
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        सोचने लगा 8क, ‘कह ं इसी तरह से वह मुझे भी न खो दे कभी?'
             ‘अब =या सोचने लगे. जद  से दूसर  पेिQसल दो न. मुझे बहत सारा होम
                                                               ु
        वक,  करना है.’
             मधुप ने चुपचाप अपने हाथ क/ पेिQसल उसे थमा द  तो वह उसे लेकर
        जैसे ह  आगे बढ़  तो तुरंत ह  अपने ह  ?थान पर अचानक से  ठठक भी गई.

        पीछे लौटते हए वह मधुप से बोल ,
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             ‘और  हाँ,  अब  से  मK  तु[हC  मधुप  और  तुम  मुझको  मधुVलका  नह ं  बोला
        करोगे.’
             ‘तो 8फर . . .?’ मधुप ने एक संशय के  साथ मधुVलका को देखा तो बोल ,
             ‘हम दोन> एक-दूसरे को ‘मीता’ कहकर बुलाया करCगे. मKने 8कसी उपQयास
        मC  पढ़ा  था  8क  जब  लड़का और  लड़क/  दोन>  के   नाम  एक  समान  होते  हK  तो
        आपस मC वे एक-दूसरे को मीता कहकर बुलाते हK.’
             ‘अoछा! मतलब जानती हो मीता और मीत का?’
             'हां जानती हँ- एक अoछे Vम*.’
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             ‘और . . .’?
             ‘और मुझे नह ं मालुम.’ कहते हए मधुVलका चल  गई तो मधुप काफ/ देर
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        तक उसके  —याल> मC भटकता 8फरा था. . .

             बचपन  से  एक  ह   ?थान,  एक  ह   शहर,  और  एक  ह   साथ  खेलते-पढ़ते,
        झगड़ते हए वे दोन> कब कालेज पहँच गये उQहC पता ह  नह ं चला था. एक  दन
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        जब  बसंत  का  मौसम  था.  वृR>  और  तमाम  पेड़-पौध>  के   सूखे  प€ते  धरती  के
        आँचल  पर  लापरवा  पसरने  लगे  थे.  ठंडी  और  कोमल  नाजुक  हवाएं  जब  भी
        मानव शर र> से Vलपटती थीं तो हर 8कसी का बदन एक अजीब ह  Vसहरन से
        जैसे सहम सा जाता था. आकाश अ=सर ह  साफ़ रहने लगा था. बसंत पंचमी
        कर ब आती जा रह  थी और आसमान मC रंग-)बरंगी पतंगे भी उड़ने लगी थीं.
        ?क ू ल क/ छ ु «ी के  बाद मधुप तो कट  हई पतंगे लूटने मC म?त रहता था पर
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        मधुVलका अपनी अQय सखी-सहेVलय> के  साथ एक ?थान पर बैठ कर गपशप

        करती हई इQह ं तमाम लड़क> को पतंगे लूटते हए देखती रहती थी. पतंगC लूटते
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        हए इन लड़क> मC कोई भागते-भागते }गरता था, 8कसी के  चोट लगती थी और
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        कोई  आपस  मC  झगड़  जाता  था.  मधुVलका  इन  सबको  देखती  थी  और  `खल-
        `खलाकर हंस पड़ती थी.
             तब ऐसे ह  एक  दन शाम का समय था. कोई चू„ड़यां पहनाने वाला आया

                                             26 |  चेतना प ढ़ये और आगे ब ढ़ये
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