Page 34 - CHETNA JANUARY 2020- FEBRUARY 2020 FINAL_Neat
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मधुप  उसे  ग[भीरता  से  Zनहारने  लगा.  तब  मधु  उसके   मन  क/  भावना  को
        समझते हए आगे बोल ,
                ु
             'ऐसे =या देखते हो. चुपचाप बगैर क ु छ भी कहे हए खाना खा लो.'
                                                    ु
              'कोई  तुमसे  क ु छ  भी  कहता  रहे  और  मK  कायर>  के   समान  सुनता  रहँ?'
                                                                       ू
        मधुप ने कहा तो मधु तुरंत बोल ,
             'कहता रहे तो कहने दो. मुझ पर =या फक,  पड़ता है? हम लड़8कय> को तो
        लड़के  यूँ भी छेड़ते ह  रहते हK. उनक/ तो आदत ह  है. देख कर अपनी आँखC बंद

        कर Vलया करो.'
             . . . . . सोचते हए मधुप क/ आँख> से आंसुओं क/ बूँदC टपक कर नीचे
                            ु
        भूVम  क/  Vम«ी  मC  _वल न  हो  ग­.  बरात  का  हजूम  मधुVलका  के   दरवाज़े  तक
                                                ु
        पहंच चुका था. धूर-गोल> ने चीखना-}चलाना अब बंद कर  दया था. रा)* के
          ु
        एक बजने जा रहे थे. बाई-पास क/ यह अके ल  और तQहा सड़क गहर  होती रात
        का सहारा लेकर अब और सूनी हो चुक/ थी. मधु ने अपने चारो तरफ एक बार
        Zनहारा. Vसवाय सूनी और अके ल  सड़क के  उसे जब कह ं क ु छ भी नज़र नह
        आया तो वह भी वहां से उठा और थके  हए कदम> के  साथ अपने घर आया.
                                            ु
        कमरे मC मेज के  सामने आकर उसने मधुVलका के  _ववाह के  उपहार के  Vलए एक
        चेक काटा और उसे बधाई के  थोड़े से श™द भी Vलखे,
               'मधु,

               बहत बधाई हो तुमको, िज़Qदगी के  इस नये सफ़र क/ सुहानी शुˆआत
                  ु
        के  Vलए. मKने सारा क ु छ पाने क/ आस मC अपना सारा क ु छ लगा  दया, मगर
        8फर भी अफ़सोस इसVलए नह ं है 8क िजसको  दया है वह भी तो अपना ह  था.
        अब क ु छ और तु[हारे दामन मC देने के  Vलए मेरे पास क ु छ भी नह ं बचा  है.
        Vसवाय  मेर   कमज़ोLरया,  कVमयाँ  और  मेर   खताएं  ह   अब  मेरे  पास  है.  ये
        खुबसूरत  शाम  जो  अब  रात  मC  बदल  चुक/  है,  इसके   Vलए  इतना  ह   कहकर
                                                          ू
                                    ु
        तु[हार  दुZनया से सदा के  Vलए बहत दूर चला जाना चाहता हँ 8क,
               'जब तुम अपने _Hय साजन क/ बाह> मC जाओ तो उससे यह  कहना
        8क, हमारे इसी आज के  Vलए 8कसी ने अपना कल सदा के  Vलए लुटा  दया है.'

        - मधुप.'



        इंसान जQम के  एक वष, के  अंदर चलना सीख जाता है, ले8कन

           चलना कै से है, यह सीखने मC उसे सार  उ\ लग जाती है.



                                             34 |  चेतना प ढ़ये और आगे ब ढ़ये
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