Page 55 - CHETNA JANUARY 2020- FEBRUARY 2020 FINAL_Neat
P. 55

समझी थी. हसरत> का तड़पना, तरसना, देखने क/ आदत डालनी पड़ी थी. आगे
        चलकर भी समझौत> का VसलVसला ख€म होने का कोई आसार नजर नह ं आ
        रहा था. मेरे अभाव, मेरा दुÁख कठोर सह , लाइलाज नह ं है. यह जताने के  Vलए,
        Vसफ,  मेरे Vलए सांके Zतक भाषा सीखकर माँ ने मुझे असीम खुशी द  थी. मेर
        बेजुबान  मजबूLरयाँ  समझने  क/  माँ  क/  अथक  कोVशश>  के   कारण  मुिiकल>  ने
        समझदार  क/ श=ल मC आकर मेरा जीना काफ/ हद तक आसान कर  दया था.
        मKने यह कभी नह ं चाहा था 8क, हर पल माँ मेरे बारे मC ह  सोचती रहे,, परQतु

        आजकल यह भावना सताने लगी थी 8क, सांके Zतक भाषा जानने के  बावजूद आगे
        चलकर माँ मेर  भावनाओं के  आवiयकताओं के  संके त शायद ह  समझ सके गी?
        अगर समझ पाती तो जवान बेटा और युवा बेट  के  घर मC होते हए, ढलती उ\
                                                               ु
        मC  साथी  न  ढ ूँढती.  रात  क/  तनहाई  मC  उसे  अपने  घर  कभी  न  बुलाती.  मेर
        ताˆŸयसुलभ भावनाएँ न बहर  थीं, न गूँगी. यािQ*क कान का यं*, कान मC न
        डालकर भी मेरे युवा  दल क/ उमंगC,  मेर  भावनाओं क/ आहट मुझे साफ सुनाई
        दे रह  थी.
             डेझी के  भूतपूव, Vम*> क/ याद> को कचरे मC डालकर आकर बैठ गया हँ.
                                                                        ू
        घर क/ बाहर क/ सीढ़  पर. राह देख रहा हँ,, माँ के  दो?त के  वापस अपने घर
                                            ू
        जाने  क/.  हो?टल  का  कमरा याद  आ  रहा  है.  आ`खर,  अजीब  हाल  हआ  है  8क
                                                                 ु
        आसमान से टपके  तो खजूर मC अटके . हवा मC ठŸड बढ़ रह  है. मुझे सदÀ लगने

        लगी है.  यारह बजने मC अब भी एक घŸटे से cयादा समय बाक/ है.
                _________________________________________________














               55 |  जनवर -फरवर  2020
   50   51   52   53   54   55   56   57   58   59   60