Page 53 - CHETNA JANUARY 2020- FEBRUARY 2020 FINAL_Neat
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होती  है  इन  अपजीवी  सुनहरे  लमह>  मC?  =या  इस  समाज  क/  हर  युवती
        िजQदगी  के   अहम  बQधन>  को  =या  इसी  अVलqतता  से,  इतनी  ह   कै cयुअल
        देखती  होगी?  हो  सकता  है  मेरे  गूँगे-बहरेपन  ने  अपनी  भावना€मक  छटपटाहट
        भूलकर पढ़ाई मC पूरा Žयान लगाना ह  उ}चत समझा हो. यह  वजह होगी 8क
        आज  तक  =लॉस  क/  8कसी  लड़क/  क/  तरफ  मKने  आँख  उठाकर  देखने  क/
         ह[मत तक नह ं क/ थी. डेझी ने अपने पुराने Hेम-स[बQध> क/ ZनशाZनय> को
        काले रंग के  qलाि?टक बैग मC ठ ूँसकर वह बैग क ू ड़ेदान मC फC कने का काम मुझ

        पर स¦पा. बQधन तोड़ने का और यादC Vमटाने का वह औपचाLरक तर का, यौवन
        का  खेल-तमाशा,  पलभर  के   Vलए  उस  यथाथ,  ने  मुझे  परेशान  ज~र  8कया.  मK
        अपने मन को खुदगज, बनने का पाठ पढ़ाने क/ कोVशश कर रहा था. कह रहा
        था, अपने-आप से 8क =य> नह ं ऐसा फायदेमQद —याल अपने  दमाग मC लाते
        8क,  डेझी  क/  शाद   के   बाद  उसका  सोने  का  कमरा  तु[हC  Vमल  जाएगा.  मेरा
        गूँगापन  अपनी  ह   अँगुVलय>  के   संके त  पढ़  रहा  था,  जो  प_व*  भावनाओं  क/
         हफाजत क/ ओर इशारा कर रहे थे. पता नह ं मेरे सोचने का यह दाश,Zनक ˆख
        िजQदगी को कह ं ले जा पाएगा भी या नह ं?
             डेझी  के   ससुराल  जाते  ह   मुझे  अपना  ?वतQ*  कमरा  Vमल  जाएगा.  रोज
        रात द वानखाने मC रखे हए सोफे  को खोलकर उसका )बछौना बनाने क/ कसरत
                             ु
        ख€म होगी. माँ :वारा क/ हई बेहतर न सजावट का न=शा न )बगाड़ते हए रोज
                               ु
                                                                    ु
        सुबह जद  उठकर Vल_वंग-~म को ठ•क-ठाक करना, क ु छ-क ु छ परेशान भी करने
        लगा था. 8फर भी द वानखाने मC रात )बताने के  सुख मC भी मुझे राहत क/ सूरत
        नजर आने लगी थी. द वानखाना और दो शयनगृह> के  बीच कम-से-कम थोड़ा-सा
        फासला तो था. आजकल, रात गए माँ का Vम* जब माँ के  कमरे मC होता था तो
        द वानखाने का दरवाजा बQद करने के  बाद, मK तुरQत कान मC रखा हआ यQ*
                                                                  ु
        Zनकालकर पढाई मC जुट जाने का तQ* कामयाबी से आजमाकर देख चुका था.
        माँ के  Vलए मन मC भि=त-भाव जैसी भावना थी या मK क ु छ cयादा ह  सरल था.
        ZनBकपट था. माँ को लेकर सह -गलत का फक,  मेरे Vलए तकल फदेह स)बत हो
        रहा था. अब मेर  समझ मC आ रहा था 8क, जब से माँ का दो?त शाम को घर

        आने लगा है,, डेझी ने ऑ8फस के  बाद रात के  देर से घर आने के  Vलए, डाQस-
        =लॉस जॉइन करने का बहाना =यूँ ढ ूँढ़ा? लगता होगा. माँ ने हमC पालते व=त,
        अनुशासन  Vसखाते  व=त  िजन  मूय>  को  सँभालने  क/  नसीहत  द   थी,  उन
        बुZनयाद  मूय> को भूलकर जीना माँ का ?वभाव नह ं था. अचानक माँ का यूँ


               53 |  जनवर -फरवर  2020
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