Page 50 - CHETNA JANUARY 2020- FEBRUARY 2020 FINAL_Neat
P. 50
हाVसल 8कया. जो भी काम Vमला ईमानदार से 8कया. हम दोन> का भ_वBय
बनाने क/ धुन मC न जाने 8कतने कBट सहे मेर माँ ने. अपने अके लेपन क/,
संघष, क/ पीड़ा अपने भीतर ह छ ु पाकर हमारे Vलए हँसती रह , जीती रह .
आज मर बड़ी बहन डेझी के पास कॉिQसVलंग _वषय मC डjी है,. मेडकल
कॉलेज मC अoछ नौकर है. मेर क[qयूटर-साइQस क/ डjी तकर बन पूर होने
को है. _पछले चार साल मेर कॉलेज क/ पढ़ाई का आधा खच, माँ और डेझी ने
दया और बाक/ खच, के Vलए मKने यूZनवVस,ट से उधार -छा*वृित लॉन
?कॉलरVशप ल . माँ के बीस साल के संघष, मC, उसे मेरा cयादा याल रखना
पड़ा. }चQता करनी पड़ी, =य>8क मK जQम से बहरा और गूँगा हँ. मेरे इशार> क/
ू
जबान समझने के Vलए माँ और डेझी ने Vसफ, मेरे Vलए सांके Zतक भाषा सीख
ल . बचपन मC जQम- दन पर, बाक/ छोटे बoच> को, `खलौने Vमलते थे, परQतु
मुझे यािQ*क कान (Miracle Ear) जैसे यQ*, जो कान मC लगाते ह बहरेपन
का अहसास तक न होने दC. जब कभी मेर शार Lरक सीमाओं को याद रखकर मK
उपयोग मC ला सक ूँ , ऐसे तोहफे मुझे दये जाते तब मुझसे cयादा माँ क/ आँखC
भर आती थीं. Hारध ZनयZत जो भी हो, मेरे शार Lरक अभाव से मK अपने−आप
को असहाय ना समझूँ, , इसVलए माँ ने मुझे, मुझ जैसे बoच> के Vलए जो ?पेशल
एcयुके शन ?क ू ल थे, ऐसे एक अoछे से ?क ू ल मC भेजा. आम ?क ू ल> क/ तुलना
मC इस ?क ू ल क/ फ/स cयादा थी. 8फर भी माँ ने जीने क/ हर सु_वधा का मेरे
Vलए इQतजाम 8कया. एक बेटा, एक बेट , उनके दो अलग यि=तव, अलग
?वभाव, दोन> क/ अलग-अलग, भावनामक, शार Lरक, मानVसक, ज~रतC, कम उ\,
अके ल माँ, घर मC डैडी नाम के शस का ना होना, पराया देश,, Qयूयॉक, जैसा
असुRत शहर, परQतु माँ ने सार मुिiकल> का डटकर सामना 8कया. थकना,
Zनराश होना, ये शद उसके शदकोश मC नह ं थे. डेझी क/ कॉलेज क/ पढ़ाई
खम हई. उसे अoछ तनखा क/ नौकर Vमल . माँ के कBट कम तो नह ं हए,
ु
ु
मुिiकलC थोड़ी-बुहत आसान ज~र ह.
ु
इस शहर मC आकर बीस साल हो गए, परQतु Vसफ, _पछले तीन साल> से,
हम तीन>, माँ क/ पसQद के अनुसार 8कराये का =य> न हो, इस सल के दार, सुQदर
मकान मC रहने लगे थे. जब से Qयूयोक, मC आए, पैस> के अभाव के कारण कम
8कराये के बेसमेQट अपाट,मCट मC ह रहे., वह ं पले, बड़े हए. खैर, और कोई चारा
ु
भी तो नह ं था. जैसे ह डेझी को नौकर Vमल , माँ को अपनी पसQद क/ ओर
यान देने के Vलए आ}थ,क सहायता Vमल . तहखाने मC रहते हए सूरज क/
ु
50 | चेतना प ढ़ये और आगे ब ढ़ये