Page 51 - CHETNA JANUARY 2020- FEBRUARY 2020 FINAL_Neat
P. 51

रोशनी के  Vलए तरसते थे और इस शानदार घर मC इतनी cयादा `खड़8कयां थीं
        8क सुबह होते ह  घर शीतल सूरज-8करण> से भर जाता था. HZत मह ना आठ
        सौ डॉलर 8कराया देकर माँ ने सूरज क/ रोशनी खर द ल . घर के  हर कमरे मC
        ढंग का फZन,चर आ गया. `खड़8कय> पर रेशमी, मुलायम, क/मती, परदे लहराने
        लगे, िजन पर फ ू ल> क/ नाजुक कशीदाकार  थी. माँ के  हाथ 8कसी कलाकार से
        कम  न  थे.  घर  का  कोना-कोना,  खूबसूरती  से  सजाना माँ  का  शौक  था, परQतु
        उसका  दुभा,गय  यह  था,  8क  मेरे  _पता  को  माँ  का  यह  सुघड़  गृ हणी  का  ~प

        देखने क/ ‘िBट नह ं Vमल  थी. माँ ने घर को बड़े qयार से, क ु शलता से और
        सुˆ}चपूण,  ढंग  से  सजायाथा.  हर  छ ु  «य>  मC,  जब  भी  मK  घर  लौटता,  हक/
        रोशनी मC नहाता हआ, सजा-सजाया, हर कमरा मेरा यूँ ?वागत करता 8क माँ
                        ु
        क/ सौQदय,‘िBट क/ तार फ करते हए मेर  अँगुVलय> के  सारे इशारे थक जाते थे.
                                     ु
         दन-ढले काम से लौटते व=त, कभी माँ „ड?काउंट ?टोर से स?ती है…स खर दकर
        लाती थी. छ ु «ी के   दन रंग-)बरंगी, रेशमी LरबQस तथा लेस लगाकर है…स का
        )बलक ु ल नवीनीकरण कर देती थी. यह सजी-सजायी है…स अपने शयनकR क/
        द वार पर इस शान से सजाती थी 8क, राजक ु मार  का शयनगृह भी मुड़-मुड़कर
        माँ के  शयनकR क/ ~पवती द वार को देखता रहे. 8†समस के   दन> मC हमारे
        घर के  8†समस-²  क/ अलग ह  तरह क/ सजावट सबक/ तार फ क/ वजह बन
        जाती  थी.  माँ  अपने  हाथ>  से  _व=टोLरयन  समय  मC  HचVलत,  8†समस-²   पर

        सजाने  के   आभूषण>  के   }च*  देखकर  खूबसूरत  गहने  बनाती  थी.  उन  Zनराले
        गहन>  को  पहनकर,  8†समस-²   क/  हर  शाख  यूँ  झूम  उठती  थी  8क  माँ  क/
        कला€मकता का पLरचय पाकर हर देखनेवाला तार फ के  पुल बाँध देता था. चाय
        क/ के तल  खर दते व=त भी माँ क/ सूµम नजर, ऐसी के तल  का चुनाव करती
        8क  ऐसा  लगता  था,  8क  के तल   न  हो,  रसोईघर  मC  एक  िजQदा,  गोल-मटोल
        खूबसूरत, सफे द खरगोश आकर बैठा हो.
             बचपन से मेरा देखा हआ मेर  माँ का ~प एक आदश,, €यागी माँ का, एक
                               ु
        सुघड़, दR गृ हणी का था. साल भर पहले जैसे माँ को अपनी पसQद-नापसQद क/
        ओर Žयान देने को Vलए व=त Vमला, वैसे ह  अपनी Zनसग,सुलभ भावनाओं को

        Qयाय देने क/ भी उसे याद आई. शायद उसके  संयम ने भी Vसहरन महसूस क/
        हो? माँ ने एक युवक से दो?ती क/. माँ का अपने Vम* के  साथ घूमना-8फरना,
        Vसनेमा देखना या रे?टोरेŸट जाना मुझे अखरता नह ं था, परQतु जब माँ का Vम*
        रोज रात आठ से  यारह तक का समय माँ के  शयनकR मC )बताने लंगा, तब


               51 |  जनवर -फरवर  2020
   46   47   48   49   50   51   52   53   54   55   56