Page 163 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
P. 163
म क ु शल होना चािहए, चाहे वह कोई ाहक हो, कम चारी हो, बॉस हो, प नी हो या ब चे ह ।
क मुिनक े शन ि क स जैसे िलखना, बोलना और सौदेबाजी करना सफल जीवन क े िलए बह त
ज़ री ह । यह एक ऐसी कला है िजस पर म लगातार मेहनत करता ह ँ और अपने ान को बढ़ाने
क े िलए पाठ ् य म म भाग लेता ह ँ या शै िणक टेप ख़रीदता रहता ह ँ।
जैसा िक म ने बताया, मेरे पढ़े-िलखे डैडी ने िजतनी यादा मेहनत क वे उतने ही यादा
कािबल बने। उ ह ने िजतनी यादा िवशेष ता हािसल क , वे उतने ही यादा फ ँ सते चले गए।
हालाँिक उनक तन वाह बढ़ी, परंतु उनक े िवक प कम होते चले गए। जब उ ह सरकारी
नौकरी से हटा िदया गया, तभी उ ह पता चला िक वे यवसाय क ि से िकतने जोिखम म थे।
यह तो उसी तरह का मामला हो गया जैसे ोफ े शनल एथलीट को अचानक चोट लग जाए या वह
खेलने क े िलए यादा बूढ़ा आ हो जाए। उनक ऊ ँ ची तन वाह वाली ि थित चली जाती है और वे
़
अपनी सीिमत द ताओं क े सहारे जीवनयापन करते ह । म सोचता ह ँ िक इसीिलए मेरे पढ़े-िलखे
डैडी बाद म यूिनयन क े इतने समथ क बन गए थे। उ ह ने यह महसूस कर िलया था िक यूिनयन
ने उ ह िकतना यादा फायदा िदलाया होता।
अमीर डैडी माइक और मुझे सभी चीज क े बारे म थोड़ी-थोड़ी जानकारी रखने क े िलए
ो सािहत करते थे। वे हम ऐसे लोग क े साथ काम करने क े िलए ो सािहत करते थे जो हमसे
यादा माट थे और वे हमसे यह भी चाहते थे िक हम माट लोग से एक टीम क े प म काम
करवाएँ। आज इसे यावसाियक िवशेष ताओं का सम वय कहा जाएगा।
आज, म भूतपूव क ू ल टीचस से िमलता ह ँ जो हर साल लाख डॉलर कमा रहे ह । वे इतना
यादा इसिलए कमा रहे ह य िक उनक े पास अपने े क िवशेष ीय द ताओं क े अलावा भी
द ताएँ ह । वे िसखा भी सकते ह और बेच भी सकते ह और माक िटंग भी कर सकते ह । िब
और माक िटंग क द ताएँ यादातर लोग को इसिलए किठन लगती ह य िक इसम नकारे
जाने या अ वीकार िकए जाने का डर होता है। आप सं ेषण, सौदेबाजी और अपने नकारे जाने क े
डर का सामना करने म िजतने बेहतर ह गे, आपक े िलए िजंदगी उतनी ही आसान होगी। िजस
तरह म ने अखबार क लेिखका को सलाह दी थी जो 'बे टसेिलंग लेिखका' बनना चाहती थी, म
हर िकसी को वही सलाह देना चाह ँगा। तकनीक प से िवशेष ता हािसल करने क े क ु छ
मजबूत पहलु होते ह और क ु छ कमजोर पहलू होते ह । मेरे क ु छ दो त ह जो जीिनयस ह परंतु वे
दूसरे लोग क े साथ भावी ढँग से बात नह कर पाते और प रणाम व प उनक आमदनी बह त
कम है। म उ ह सलाह देता ह ँ िक वे एक साल तक िब क कला सीख ल । चाहे वे क ु छ भी न
कमाएँ, परंतु उनक क युिनक े शन ि क स सुधर जाएँगी। और यह अनमोल है।
अ छे सीखने वाले, बेचने वाले और माक िटंग करने वाले यि होने क े अलावा हम अ छे
िश क और अ छे िव ाथ होने क भी ज रत है। दरअसल अमीर होने क े िलए आपम लेने क े
साथ ही देने क क़ािबिलयत भी होनी चािहए। आिथ क या ोफ़ े शनल संघष क े मामल म देने और
लेने म बह धा कमी देखी गई है। म ऐसे कई लोग को जानता ह ँ जो िसफ इसिलए ग़रीब ह य िक
वे न तो अ छे िव ाथ ह न ही अ छे िश क ह ।
मेरे दोन डैडी उदार थे। दोन ने पहले देने क े िस ांत का पालन िकया था। िश ा देना