Page 158 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
P. 158
मेरा पहला िशपम ट को रया से यूयॉक क े िलए रवाना ह आ।
आज, म अंतरा ीय तर पर िबज़नेस करता ह ँ। और जैसा मेरे अमीर डैडी मुझे ो सािहत
िकया करते थे, म िवकासशील देश पर यान क ि त करता ह ँ। आज मेरी िनवेश कं पनी दि ण
अमे रका, एिशया, नॉव और स म िनवेश करती है।
एक कहावत है, “जॉब एक संि प है ज ट ओवर ोक का”। और दुभा य से यह
करोड़ लोग क े िलए सही सािबत होता है। चूँिक क ू ल यह नह समझता िक फ़ायन िशयल बुि
भी बुि का एक प है इसिलए यादातर कम चारी या मजदूर “अपने साधन क े भीतर रह रहे
ह ।” वे मेहनत करते ह और अपने िबल चुकाते ह ।
एक और डरावनी मैनेजम ट योरी है, “काम करने वाले इसिलए कड़ी मेहनत करते ह
तािक उ ह नौकरी से न िनकाल िदया जाए। और मािलक उ ह क े वल इतना देते ह तािक काम
करने वाले छोड ् कर न चले जाएँ।” और अगर आप यादातर कं पिनय क तन वाह देख तो आप
पाएँगे िक इस बात म थोड़ी-बह त स चाई तो है।
इसका क ु ल प रणाम यह होता है िक यादातर कम चारी आगे नह बढ़ पाते। वे वही करते
ह जो उ ह िसखाया जाता है : “सुरि त नौकरी खोज लो।” यादातर काम करने वाले कम
समय क े पुर कार जैसे वेतन और दूसरे फ़ायद क े िलए काम करते ह , परंतु दीघ कालीन ि से
यह उनक े िलए घाटे का सौदा सािबत होता है।
इसक े बजाय म युवा लोग को यही सलाह दूँगा िक नौकरी खोजते समय वे इस बात पर
कम यान द िक वे िकतना कमा रहे ह और इस बात पर यादा यान द िक वे िकतना सीख रहे
ह । रा ते पर आगे क तरफ़ देखकर यह तय कर िक िकसी ख़ास ोफ े शन को चुनने क े पहले
और चूहा दौड़ म फ ँ सने से पहले वे िकतनी द ताओं म पारंगत होना चाहते ह ।
एक बार लोग िबल चुकाने क आजीवन ि या म फ ँ स जाते ह तो वे छोटे हैम टस क
तरह धातु क े छोटे पिहय क े चार तरफ़ घूमते रहते ह । उनक े छोटे पैर तेज़ी से घूमते ह , पिहए भी
तेज़ी से घूमते ह परंतु आने वाले कल म भी वे उसी िपंजरे म रह गे : नौकरी।
जंतरी मै वॉयर िफ़ म म टीम ू ज़ का बह त बिढ़या रोल था और इस िफ़ म म कई बह त
ज़ोरदार संवाद थे। शायद सबसे यादगार लाइन थी “मुझे पैसा िदखाओ।” परंतु एक और लाइन थी
जो मेरे िहसाब से यादा स ची थी। यह उस य म थी जहाँ टीम ू ज़ फ़म छोड़कर जा रहा है।
उसे नौकरी से िनकाल िदया गया है और वह पूरी कं पनी से पूछता है, “मेरे साथ कौन आना
चाहता है?” और सब लोग मौन और त ध ह । क े वल एक औरत बोलती है, “म आना तो चाहती
ह ँ परंतु मेरा तीन महीने म मोशन होने वाला है।”
यह वा य शायद पूरी िफ़ म का सबसे स चा व य है। यह उस तरह का व य है जो
िबल चुकाने क े िलए मेहनत करने वाले लोग हमेशा इ तेमाल करते ह । म जानता ह ँ िक मेरे पढ़े-
िलखे डैडी हर साल तन वाह बढ़ने क आशा लगाए रखते थे और हर साल उ ह िनराशा होती
थी। इसिलए वे िफर से क ू ल जाकर और यादा यो यताएं हािसल करते थे तािक उ ह एक और
वेतनवृि िमल सक े , परंतु एक बार िफर उ ह िनराशा ही हाथ लगती थी।