Page 157 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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गया था। अमीर डैडी जानते थे िक म  अंतरा   ीय  यापार क े  अ ययन क े  िलए  क ू ल गया था।

                     तो एक िव ाथ  क  तरह म  सुदूर पूव  और साउथ पैिसिफ़क जाने वाले जहाज़ो पर, बड़े
                 ू टस  पर, ऑयल ट कर  और या ी जहाज़ो पर काम करता रहा। अमीर डैडी इस बात पर ज़ोर देते

               थे िक म  यूरोप क  तरफ़ जाने वाले जहाज़ो क े  बजाय  शांत महासागर पर अपना  यान क   ि त
               क  ँ   य िक ‘भिव य क े  देश’ एिशया म  ह , यूरोप म  नह । जबिक मेरे  यादातर सहपाठी, िजनम
               माइक भी शािमल था, अपने घर  पर पाट  और मौजम ती करते थे तब म  जापान, ताईवान,
               थाईल ड, िसंगापुर, हाँ गकां ग, िवयतनाम, को रया, तािहती, समोआ और िफ़लीपी स म
                यवसाय, लोग , िबज़नेस क  शैिलय  और सं क ृ ितय  का अ ययन करता था। म  भी पाट  कर

               रहा होता था, परंतु अपने घर पर नह । मेरा  ान बह त तेज़ी से बढ़ रहा था।

                     पढ़े-िलखे डैडी कभी नह  समझ सक े  िक म ने यह नौकरी  य  छोड़ी और इसक े  बाद मरीन
               कॉ स  म   य  शािमल ह आ। म ने उ ह  बता िदया िक म  जहाज़ उड़ाना सीखना चाहता ह ँ, परंतु म
               वा तव म   प का नेता बनना सीखना चाहता था। अमीर डैडी ने मुझे बता रखा था िक कं पनी

               चलाने का सबसे किठन काम था- लोग  से काम लेना। उ ह ने तीन साल तक सेना म  काम
               िकया था मेरे पढ़े-िलखे डैडी ने कभी ऐसा नह  िकया था। अमीर डैडी ने मुझे बताया िक
               ख़तरनाक प रि थितय  म  िकस तरह लोग  का नेतृ व िकया जाए। “तु ह  जो अगली चीज़

               सीखनी चािहए वह है नेतृ व।“ उ ह ने कहा, “अगर आप एक अ छे नेता नह  ह , तो आप पर
               पीछे से भी गोली चलाई जा सकती है जैसा िबज़नेस म  िकया जाता है।”

                     1973 म  िवयतनाम से लौटने पर म ने कमीशन से इ तीफ़ा दे िदया, हालाँिक म  हवाई
               जहाज़ उड़ाना पसंद करता था। म  ज़ेरॉ स कं पनी म  काम करने लगा। म ने इसम  एक वजह से
               नौकरी क  थी और नौकरी क े  फ़ायदे वह वजह नह  थी। म  एक शम ला आदमी था और िब   का
               िवचार मुझे दुिनया का सबसे डरावना िवषय लगता था। ज़ेरॉ स अमे रका म  से स  ेिनंग
                ो ा स म  बह त बिढ़या कं पनी मानी जाती थी।

                     अमीर डैडी को मुझ पर गव  था। मेरे पढ़े-िलखे डैडी को मुझ पर शम  आती थी। एक

               बुि जीवी होने क े  नाते, वे सोचते थे िक से समेन उनक े  नीचे क े   तर क े  होते ह । म ने ज़ेरॉ स म
               चार साल तक काम िकया जब तक िक मुझे दरवाजे खटखटाने और अ वीकार कर िदए जाने क े
               डर से मुि  नह  िमल गई। एक बार म  िव य म  चोटी क े  पाँच लोग  म  लगातार आने लगा तो
               म ने एक बार िफर इ तीफ़ा दे िदया और आगे बढ़ गया, एक बार िफर म ने एक अ छी-खासी
               कं पनी क े  साथ अपना बिढ़या क रयर छोड़ िदया था।

                     1977 म  म ने अपनी पहली कं पनी खोली। अमीर डैडी ने मुझे और माइक को कं पिनयाँ
               चलाने का  िश ण दे रखा था। तो अब मुझे उ ह   थािपत करना ही सीखना था। मेरा पहला

               उ पाद था नायलॉन और वेल ो का वॉलेट, जो फ़ार ई ट म  बनता था और समु ी जहाज़ से
                यूयॉक    म  एक वेयरहाउस तक आता था। मेरी औपचा रक िश ा पूरी हो चुक  थी, और अब मेरे
               पंख  क  मज़बूती क  परी ा का समय आ गया था। अगर अब म  असफल होता, तो म  दीवािलया
               हो गया होता। अमीर डैडी का मानना था िक 30 साल क े  पहले दीवािलया होना सबसे अ छा होता
               है। “आपक े  पास सँभलने का मौक़ा होता है, “उनक  सलाह थी। मेरे 30व  ज मिदन क  शाम को
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