Page 35 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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''ओक े अगले शिनवार, '' म ने कहा। और फ़ोन रख िदया। माइक क े डैडी माइक और मुझसे
िमलने क े िलए तैयार हो गए थे।
शिनवार क सुबह 7:30 बजे म ने शहर क े दूसरे िह से म जाने क े िलए बस पकड़ी।
और सबक़ शु ह ए
“म तु ह एक घटे क े दस सेट दूँगा।”
1956 क तन वाह क े िहसाब से भी दस स ट ित घंटे का वेतन कम था।
माइकल और म सुबह 8 बजे उसक े डैडी से िमले। वे पहले से ही य त थे और उनक े पास
एक घंटे से भी यादा का काम मौजूद था। जब म उनक े साधारण, छोटे और साफ़ घर क े सामने
पह ँचा तो म ने देखा िक उनका कं शन सुपरवाईज़र अपने िपकअप क म वहाँ से जा रहा था।
माइक मुझे दरवाजे पर ही िमल गया।
“डैडी अभी फ़ोन पर ह , और उ ह ने कहा है िक हम लोग पीछे क े पोच म उनका इंतज़ार
कर ”। 'माइक ने दरवाजा खोलते ह ए कहा।
जब म ने उस पुराने घर क दहलीज़ क े अंदर क़दम रखा तो लकड़ी क े पुराने फ़श क
चरमराहट सुनाई दी। दरवाजे क े भीतर स ती सी चटाई थी। चटाई वहाँ इसिलए रखी गई थी तािक
फ़श पर पड़े अनिगनत क़दमो क े िनशान को छ ु पाया जा सक े । हालाँिक वह साफ़ थी पर यह
प िदखता था िक उसे बदल देना चािहए।
जब म सँकरे िलिवंग म म घुसा तो मेरा दम घुटने लगा था। वहाँ पुराने फ़न चर क बू आ
रही थी और िनि त प से उस फ़न चर को सं हालय म होना चािहए था। सोफ़ े पर दो मिहलाएँ
बैठी थ , िजनक उ मेरी माँ से थोड़ी यादा होगी। मिहलाओं क े सामने एक पु ष मज़दूर क े
कपड़ म बैठा ह आ था। उसने ख़ाक प ट और ख़ाक शट पहन रखा था। हालाँिक कपड़े साफ़ और
ेस िकए थे, परंतु उनम टाच नह िकया गया था। उस आदमी क उ मेरे डैडी से लगभग दस
साल यादा होगी शायद 45 साल। जब म और माइक उनक े पास से गुज़रते ह ए िकचन क तरफ़
गए जहाँ से पोच का रा ता था, तो वे मु कराए। म भी जवाब म शरमाकर मु करा िदया ।
“ये लोग कौन ह ?” म ने पूछा।
“अरे, ये लोग डैडी क े िलए काम करते ह । बूढ़ा यि उनक े वेयरहाउस को सँभालता है
और मिहलाएँ रे तराँओं क मैनेजर ह । और तुमने उस कं शन सुपरवाईज़र को तो देखा ही
होगा जो यहाँ से 50 मील दूर एक सड़क प रयोजना पर काम कर रहा है। उनका दूसरा
सुपरवाईज़र जो बह त से घर बना रहा है, वह तु हारे आने क े पहले ही जा चुका है।”
“ या ऐसा हमेशा ही होता है?” म ने पूछा।
“हमेशा तो नह , पर अ सर ऐसा ही होता है,” माइक ने कहा, और मेरे पास अपनी क ु स
ख चते ह ए वह मु कराया।