Page 83 - Magazine 2018-19
P. 83
BSGS Panorama
Article by Students and Teachers
बेट क आवाज व याथ का जीवन
ना गँजू े घर म गीत कोई, व याथ का जीवन साधना और तप या का
ना घर म बजी बधाई थी। जीवन है। यह काल एका च त होकर
सबके चहे रे उतरे-उतरे, अ ययन और ान- चतं न का है। यह काल
जब लड़क दु नयाँ म आई थी। सांस रक भटकाव से वयं को दरू रखने का
काल है। व या थय के लए यह जीवन अपने
दादा-दाद भी थे गुमसुम,चाचा ने बात बनाई, भावी जीवन को ठोस नीवं दान करने का
य नाचे हम लोग खुशी से य हम बाटँ मठाई। सुनहरा अवसर है।येस च र - नमाण का
समय है।यह अपने ान को सु ढ़ करना का
पापा क आँख उदास,म मी क आँख पथराई, एक मह वपूण समय है।
सोचा था एक लाल ह होगा,पर ये कहाँ से आई?
व याथ जीवन पाँच वष क आयुसे आरंभ हो
ओ दु नयाँ को रचने वाले,कै सा याय तु हारा है, जाता है।इस समय िज ासाएँ पनपने लगती
हमको जो लड़क बनाया,इसमे या दोष हमारा है। ह। ान पपासा ती होने उठती है । ब चा
अगर न होती लड़क जग म झासँ ी क लाज बचाता कौन? व यालय म वशे लेकर ानाजन के लए
कहाँ से मलती माता हमको,दाद का यार दलाता कौन? उ यत हो जाता है। उसे भर क दु नयाँ से बड़ा
हम भी आगे बढ़ सकते है,हम भी अ छा पढ़ सकते ह, आकाश दखाई देने लगता है। नए श क
अगरहमभी यार मले हम भी सब कु छ कर सकते है। सहपाठ और नया वातावरण मलता है ।वह
समझने लगता है क समाज या है और उसे
ओ दु नयाँ के म मी-डडै ी,हम सब क यह पुकार सुनो, समाज म कस तरह रहना चा हए। उसके
हम भी तो अंश तु हारे है,एक छोट सी गुहार सुनो।
ान का फ़लक व ततृ होता है । पा य-
य दु नयाँ म आने से पहले ह हम हटाते हो? पु तक से उसे लगाव हो जाता है।वह ान
लड़के भले कपतू ह हो ,उन पर खुशी लुटाते हो। रस का वाद लेने लगता है जी आजीवन
उसका पोषण करता रहता है। व याथ जीवन
याय सदा हमसे होता, यह बात सब ने बताई थी, मानवीय गणु ो को अगं ीभूत करने का काल है।
पर य था सब सुना-सुना ,जब एक सुख-द:ु ख, हा न-लाभ,सद -गम से परे होकर
लड़क दु नयाँ म आई थी। जब व याथ न य अ ययनशील हो जाता है
तब उसका जीवन सफल हो जाता है।
शायद वह दन ह था मनहूस,
जब लड़क दु नयाँ म आई थी। राजनं दनी
आज भले ह दु नयाँ जगमग है, VII सी
पर उस दन अँ धयार छाई थी,
जब एक लड़क दु नयाँ म आई थी
जब एक लड़क दु नयाँ म आई थी।
मु कान कु मार , XI बी
82