Page 59 - Pragyaan
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हहॊदी




                                              सॊऩादक की करभ से .......


                                         “भैंने ऩत्थयों की तस्वीय को सवॊयते देखा”
                                                    न जाने क्मा था?
                                      नन्हे कराकायों क े हाथों भें कागज, करभ, दवात
                                           औय ऻान क े यॊगों का सम्वन्म देखा |”

                  ऩुयातन  भानिीम  भूल्मों  की  सयजभी  से  ऩनऩता  एक  छोटा  ऩौधा  जो  अनेक  िषों  से  सॊस्काय  औय
           सॊस्क ृ नत रुऩी आहाय को ऩाकय धन्म हो गमा| आज िह िट िृऺ की बास्न्त रहया यहा है| स्जसकी छाॉि भें िेरते
           हैं, सैंकड़ों फारक| कागज औय करभ क े जादूगय, अऩनी करा का प्रदशान कयते हए, िेर क े भैदान भें अऩना
                                                                              ु
           जूनून हदिाते हए, मशऺा क े द्धिमबन्न ऺेरों भें अऩने कौशर से करयश्भा कयते हए, अऩने द्धिद्मारम का भान
                        ु
                                                                            ु
           फढ़ाते हए, अऩने सभाज का ऩरयिेस्ष्ठत ऱूऩ प्रस्तुत कय यहे हैं – ऩत्ररका “प्रऻान” क े भाध्मभ से |
                 ु
                  मशऺा औय ऻान अिरमफन हैं साभास्जक सभस्माओॊ क े उन्भूरन का | फार भन स्जतना छोटा होता है
           उतना ही सृजन का बण्डाय होता है| सृजनशीरता का गुण उनभे जन्भजात होता है| फस िह तराशता है उगचत
           अिसय| उनके  अनुबि, कौशर औय यचनात्भक अमबव्मस्क्त का सभस्न्ित ऱूऩ मरए है मह ऩत्ररका|
                  इसका प्रथभ - सॊस्कयण भनोयॊजक ि अथाऩूणा यचनाओॊ का सजीि सॊकरन है| स्जनभे भानिीम भूल्मों
           की धयोहय को सॊजोने का रर्घु प्रमास ककमा गमा है| इसी धयोहय क े सोऩानों  ऩय चढ़ते हए आऩ औय हभ सबी
                                                                                   ु
           अऩने जीिन क े भहान रक्ष्म की ओय अग्रसय होते यहेंगे औय सभाज भें अऩना सकायात्भक मोगदान देते यहेंगें|
                  इसी अट ूट द्धिश्िास क े साथ......
           सुषभा शभाा
                                                                                                  िाध्मापऩका – हहॊदी
                                                                                                  पवबागाध्मऺ  हहॊदी









                                                     आॉखें

                 आॉिें बगिान की डी हई ऐसी ननमाभत है स्जसके  त्रफना सॊसाय अॉधेया क ु आॉ है| आॉिों क े त्रफना धन,
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         द्धिद्मा का भज़ा अधूया यह जाता है | आॉिे ही ऐसा भाध्मभ हैं जो चुऩ यहते हए अऩने बाि प्रकट कय सकती है
                                                                      ु
         जैसे:-


                 ईश्वय की आॉखों भें – दमा,
                 भाॉ की आॉखों भें- भभता
                 पऩता की आॉखों भें- कताव्म,
                 फहन की आॉखों भें- स्नेह
                 बाई की आॉखों भें-प्माय,
                 गुरु की आॉखों भें- ऻान
                 सज्जन की आॉखों भें –नम्रता,
                 पवद्माथी की आॉखों भें- स्जऻासा
                 अभीय की आॉखों भें- आशा,
                 लभत्र की आॉखों भें- सहमोग
                 दुश्भन की आॉखों भें- िनतशोध
                  वैऻाननक की आॉखों भें- खोज                                                               सुषभा यानी
                 तऩस्वी की आॉखों  भें – भोऺ                                       हहॊदी अध्मापऩका
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