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हहॊदी बाषा का भहत्त्व                            बायत है सफका उऩनाभ

        हभाये देश बायत की भुख्म बाषा हहॊदी है त्रफना   उत्तय – दक्षऺण, ऩूिा ऩस्श्चभ
        हहॊदी क े हभ कोई बी अऩनी हदनचमाा नही          सकर हदशाएॉ गाती गान
        त्रफता सकते है रेककन आज बी हभाये देश भें             बायत है भेया उऩनाभ
        अॊग्रेजी बाषा का आगधऩत्म है जो हभायी बाषा            बायतीमता भेयी ऩहचान |
        हहॊदी को समभान मभरना चाहहए शामद िो
        आज तक अबी नही मभरा है रेककन त्रफना            जानत- ऩानत औय बेद-बाि की,
        हहॊदी क े हभ अऩने द्धिकास की कल्ऩना नही       िड़ी न हो दीिाय |
        कय सकते है                                    रार यक्त से बयी मशयाएॉ,
                                                      साॊसों की ऩतिाय |
        हहॊदी बाषा क े प्रचाय प्रसाय क े मरए बायतेंदु               छोटा- फड़ा नहीॊ इॊसान
        हयीशचन्द्र क े मोगदान को बुरामा नही जा                      बायतीमता उसकी ऩहचान |
        सकता है औय सौबाग्म भें हभे बी बायतेंदु
        हयीशचन्द्र क े िायाणसी भें स्स्थत हयीशचन्द्र   फड़ा देश से नहीॊ है भजहफ
        क रेज भें इॊटय की ऩढाई कयने का सौबाग्म        हहन्दू हो मा हो इस्राभ
        प्राप्त हआ . हहॊदी बाषा का भहत्ि बायतेंदु     सॊकीणाता का दाभन छोड़ो
               ु
        हयीशचन्द्र क े इस कथन से रगामा जा सकता        धभा का यिो बायत नाभ
        है                                                                         फनकय देिो तुभ इॊसान
                                                                                   बायतीमता तेयी ऩहचान |
                                                      िैयबाि का आॉचर छोड़ो
           ननज बाषा उन्ननत अहै, सफ उन्ननत को भूर।
         बफन ननज बाषा-ऻान क े, लभटत न हहम को सूर।।    द्धिद्रुऩताओॊ का भुि भोड़ो
          पवपवध करा लशऺा अलभत, ऻान अनेक िकाय।         सीभा द्धिषभताओॊ की तोड़ो
             सफ देसन से रै कयह, बाषा भाहह िचाय        हय धड़कन बायत से जोड़ो
                              ू
                                                                    जाग उठे सच भें इॊसान
                                                                    बायतीमता सफकी ऩहचान |

                                                      बायत सफके  हदर की शान
                                        ख़ुशी शभाा     बायत है सफका अयभान
                                          दसवी ए      बायत का उद्देश्म भहान
                                                      बायत का गाओ मशगान
                                                                    बायत है सफका उऩनाभ
                                                                    द्धिश्ि भें गूॊजेगा मह गान|
                                                                                               सुषभा शभाा
                                                                                         िाध्मापऩका – हहॊदी
                                                                                        पवबागाध्मऺ  हहॊदी


                                                सुपवचाय

        बयोसा ‘िुदा’ ऩय है, तो जो मरिा है तकदीय भें, िो ही ऩाओगे। भगय, बयोसा अगय ‘िुद’ ऩय है, तो िुदा
        िही मरिेगा जो आऩ चाहोगे।।
        जीिन भें सफसे फड़ी िुशी उस काभ को कयने भें है, स्जसे रोग कहते है कक तुभ नहीॊ कय सकते हो।।

        स्जॊदगी भें अच्छे रोगों की तराश ना कये, िुद अच्छे फन जाओ, शामद आऩ से मभरकय ककसी की तराश
        ऩूयी हो जाए।।

        तजुफाा इन्सान को गरत पै सरों से फचाता है, भगय तजुफाा गरत पै सरों से ही आता है।।

                                                                                           शगुन
                                                                                           दसवी फी
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