Page 60 - Pragyaan
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छात्र सॊऩादकीम
वषाा
नभस्ते दोस्तों दसवीॊ फी
आऩके सहमोग क े मरए फहत-फहत धन्मिाद स्जससे हभ आज सपरता क े एक नए कदभ की
ु
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औय फढ़ चरे हैं| भुझे अत्मॊत ख़ुशी है कक हभ अऩने द्धिद्मारम ऩत्ररका „प्रऻान‟ का ऩहरा
सॊस्कयण राने भें सपर हए हैं| मह सफ आऩके सहमोग तथा भेहनत से ही हो ऩामा है| दोस्तों
ु
द्धिचायों की स्ितॊरता ही असर भामने भें स्ितॊरता होती है| जफ तक आऩ ककसी द्धिषम ऩय
स्ितॊरता से नहीॊ सोच सकते तफ तक आऩका भन फेड़ड़मों से फॊधा यहेगा| औय आऩकी
द्धिचायधाया स्ितॊर नहीॊ होगी|
भेया आऩको एक सुझाि है कक जैसे ऩऺी ऩूये आकाश भें स्िछन्द र्घूभते हैं िैसे ही आऩ बी हय
द्धिषम ऩय िुर कय द्धिचाय कयें| कपय चाहे िो कै सा बी द्धिषम हो| आऩसे, ऩरयिाय से, सभाज से,
देश से सॊफॊध यिता हो मा कपय कोई ऐसी साभास्जक क ु प्रथा हो स्जसे देि कय आऩका भन दुिी
होता हो| सोगचए औय मरि डामरए, आऩ देिेंगे क ु छ ही हदनों भें आऩकी सोच का दामया फढ़
जामेगा| आऩ भहसूस कयेंगे कक आऩके अॊदय फैठा हआ कद्धि मा रेिक मुिािस्था क े चयभ ऩय
ु
है| शस्क्त का अट ूट बण्डाय है इसमरए इस शस्क्त का सही हदशा भें सॊचाय कीस्जए|
क ु छ अच्छा सोगचए, अच्छा मरखिए ताकक सभाज औय देश को सही हदशा मभर सके | तो दोस्तों,
अॊत भें भेया आऩसे एक क ृ तऻ ननिेदन है कक अऩनी द्धिद्मारम ऩत्ररका को अऩने द्धिचायों का
भाध्मभ फनाए औय इसे एक उत्क ृ ष्ट ऩत्ररका क े ऱूऩ भें स्थाद्धऩत कयें
स्क ू र की भैगज़ीन पऩता
स्क ू र की भैगज़ीन छऩ यही है, िो द्धऩता होता है ,िो द्धऩता ही होता है,
मभरा-जुरा सभाचाय, जोअऩने फच्चों को अच्छेद्धिद्मारम भें ऩढाने क े मरए
भैंने बी मरि डारे आहटाकर दो चाय, बाग दौड़ कयता है...उधाय राकय डोनेशन बयता हैं,
कहानी मरिूॉ कद्धिता मरिूॉ, जऱूयत ऩड़ी तो ककसी क े बी हाथ बी जोड़ता है,
मा मरिूॉ कोई रेि ।। िो द्धऩता होता है।।हय कारेज क े साथ-साथ र्घूभता है,
ऩूछा भैंने बैमा से, फच्चे क े यहने क े मरए होस्टर ढ ूॊढता है,
फता दो कोई प्रसॊग, िुद पटे कऩड़े ऩहनता है औय फच्चे क े मरए नमी जीन्स ,टी-
स्जसे ऩढ़ हो जाए सफ प्रसन्न, शटा राता है, िो द्धऩता होता है।।
इसमरए भैंने ऩूछे बैमा से फहत साये प्रश्न ् , िुद िटाया पोन राता है...
ु
स्जससे उनके भन भें ऩैदा हो गई हरचर, फेटी की द्धिदाई ऩय हदर की गहयाई से योता है
आखिय काय क ु छ सोचकय क ु छ सभझकय, भेयी फेटी का िमार यिना, हाथ जोड़ कय कहता है ,
भैं फैठ गई मह कद्धिता मरिकय ।। िो द्धऩता होता है। िो द्धऩता ही होता है।।
लशवानी कयन बॊडायी
दसवीॊ फी दसवीॊ फी