Page 30 - karmyogi
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"ववभाजन का आरभ"
तब िानों का
हआ था बोल बाला,
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कलीन िानों का
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एक समूह
जपता था ,
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अग्रजों की माला,
दूज में,
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तीव्र ववरोध का स्वर था,
वह पूणम राष्ट्र समथमन वाला।
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िान अब्दुल गफ्फार क
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नतत्व में
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संगहित थी य शक्ततयां,
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समय वह भी आया
खिदमतदारों न ,
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स्व- क्षेत्र की मांग स,
अपन मन को था भरमाया।
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