Page 31 - karmyogi
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"ववभाजन का आरभ"
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अग्रि और पिािों क बदूक ें और दवाइयाँ ,
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युद्ध ि उि क्षेिों र्ें, बिि लगीं आय का आधार,
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अिर बित था गिराया, लूटपाट की िीनत ि भी,
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राििीनतक िसर्नतयां करि लगीं, िुरिा िा ककया
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लघु िगििों को र्ुख का आकार,
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निसर्मत और नियंत्रित, अपिी-अपिी ित्ता क सलए
निरपक्ष रिी िरकार, िबको सिद्ध करिा था अचधकार ,
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िोता गया बढ़ रिी थी िांप्रदानयक हिंिा,
लघु िसर्नतयों का पवस्तार, स्वाथी िर्ूिों का था यि पवकार ,
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यूँ र्ािवता को धकल पर , अल्पिंख्यक वगम
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पवभािि ि े झेल रिा था
सलया पवस्तत आकार। िाप्रदानयक हिंिा र्ें, प्रताडिा,
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प्रनतपल झुलि रिी थी
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उिकी वदिा,
पवमत िा धैयम ,
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अब त्रबखरि को था,
िर्य भी अब ,
चगरधारी का िब्र िरि को था।
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