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"ववभाजन का आरभ"
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                                वि युग था,


                 िब राििीनतक पररदृश्य ि                              े


                                   थी िुडी ,

                             िर्ाि की धरोिर,


                              था पिािों का

                    तब उग्र और स्वतंि स्वर,


                                            े
                           धर्मनिरपक्षता और

                               ििििीलता

                              भी उिर्ें प्रखर,


                              हदखा ििीं तब,

                           िांप्रदानयक िंघषों


                                   का प्रिर।
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