"ववभाजन का आरभ" ं वि युग था, िब राििीनतक पररदृश्य ि े थी िुडी , िर्ाि की धरोिर, था पिािों का तब उग्र और स्वतंि स्वर, े धर्मनिरपक्षता और ििििीलता भी उिर्ें प्रखर, हदखा ििीं तब, िांप्रदानयक िंघषों का प्रिर।