Page 28 - karmyogi
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अब ित्याग्रि िी एकर्ाि िरण था,


                                                                                                                       उन्र्ाद की आंचधयों को


                                                                                                                        बुझाि का िो प्रण था,
                                                                                                                                   े
                                                                                                                                    पवरोध की


                                                                                                               प्रज्ज्वसलत चिंगाररयों पर भी ,

                                                                                                                      पड रिी थीं प्रताडिाएँ ,


                                                                                                                                                    े
                                                                                                               चगरधारी क पुिों ि भी ििि की                                    ं
                                                                                                                                    े
                                                                                                                       कारावाि की यातिाएँ ,

                                                                                                                                                                 े
                                                                                                                         क्षर्ादाि की सभक्षा ितु

                                                                                                                                 पडे कई दबाव,

                                                                                                                          पर उि िांबािों को भी


                                                                                                                                ं
                                                                                                                         किा र्त्यु डराती थी?
                                                                                                                                      ृ
                                                                                                                                 पवपदाओ र्ें भी,
                                                                                                                                                 ं
                                                                                                                        निभमयता िी भाती थी।
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