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ककया चगरधारी िे


                          अब यि दानयत्व विि,

                           उिक अटल पवश्वाि ि                            े
                                    े

                               पुिनिसर्मत िआ दो
                                                       ु

                              पवद्यालयों का भवि।

                                       स्वभाषण र्ें


                                 चगरधारी र्ें ककया

                         सिक्षकों क प्रनत िंबोधि,
                                            े

                        -- वास्तव र्ें विी सिक्षक,


                                                            े
                         िो िोता िर्ाि क िभी
                                   वगों का रक्षक,


                                                 े
             रखता कभी वि भदपूणम दृजपट ििीं,
                           अपिी िंतािों िा िी


                      रिता िबर्ें निपपक्ष और ििी।
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